राज्यPosted at: Jan 7 2020 10:56AM आधुनिक समय में बच्चों में बढ़ती उग्रता और तनाव से निपटने के लिए पैरेंटिंग का पेशेवर प्रशिक्षण जरूरीअहमदाबाद, 07 जनवरी (वार्ता) जानी मानी पैरेंटिंग विशेषज्ञ आशा वघासिया का मानना है कि आधुनिक समय में बच्चों में बढ़ती उग्रता तथा तनाव और अन्य व्यवहारगत समस्याओं से निपटने के लिए देश में पैरेंटिंग यानी माता-पिता की ओर से बच्चों के उचित लालन-पालन का व्यापक पेशेवर प्रशिक्षण बेहद जरूरी हो गया है। सुश्री वघासिया ने यह भी कहा कि माता पिता बनने से पहले ही बच्चे के लालन पालन की योजना बनाना एक बेहतर और स्वस्थ नागरिक तैयार करने का सुनिश्चित तरीका है। उन्होंने बच्चों के साथ अच्छे से व्यवहार करने और उन्हें अधिक से अधिक बातचीत के लिए प्रोत्साहित करने का भी सुझाव दिया। हालांकि आज की भागदौड़ भरी जीवन-शैली में बिना उचित प्रशिक्षण के यह इतना अासान नहीं है। गुजरात में पहले पैरेंटिग स्टूडियो ‘ वी पोजिटिव पैरेंटिंग’ की कल शाम यहां शुरूआत करने वाली सुश्री वघासिया ने आज यूएनअाई से कहा कि पैरेंटिंग जीवन भर चलने वाली यात्रा है। एक बच्चे का दुनिया से पहला नाता उसके माता-पिता के माध्यम से ही बनता है। इसलिए बच्चे के एक बेहतरीन व्यक्ति बनने के लिए सबसे आवश्यक बात अच्छी पैरेंटिंग है। उन्होंने कहा कि भारतीय समाज में पैरेंटिंग बेहद रूढ़िवादी ढंग से किया जाता है। इसी वजह से यहां किशोरवय यानी टीन एज के बच्चों को शायद ही कभी उनके माता-पिता से हर विषय पर खुल कर बात करते देखा जाता है। हालांकि आधुनिक समय में माता-पिता बच्चों से खुलने का पूरा प्रयास कर रहे हैं पर उनके मनोविज्ञान को और गहराई से समझने की जरूरत है। सुश्री वघासिया ने कहा कि बच्चों में उग्रता और तनाव का सीधा संबंध आम तौर पर पैरेंटिंग यानी माता पिता के साथ उसके संबंधों से ही होता है। आज के माहौल में जिस तरह से बच्चों के पास स्मार्टफोन और ऐसे अन्य साधन उपलब्ध है ऐसे में माता पिता के लिए उनके साथ सामंजस्य बिठा पाना खासा मुश्किल हो गया है। आज के माता-पिता जब बच्चे थे तब ऐसे साधन नहीं थे लिहाजा यह एक नये प्रकार की समस्या है जिससे निपटने के लिए एक अलग दृष्टिकोण की जरूरत है। पैरेंटिंग के बारे में केवल कार्यशाला में जाकर अथवा पढ़ कर ही पूरी जानकारी नहीं मिल पाती। इसके लिए हर परिवार और बच्चे की अलग जरूरत के अनुरूप योजना और प्रशिक्षण जरूरी है। आदर्श स्थिति तो यह है कि माता-पिता बनने से पहले ही इसकी योजना बनायी जाये और प्रशिक्षण भी हासिल किया जाये। गर्भावस्था के दौरान माता की स्थिति का भी गहरा असर होने वाले बच्चे पर पड़ता है, इसलिए इसे भी पैरेंटिंग के व्यापक कार्यक्रम का हिस्सा बनाना जरूरी है।रजनीशवार्ता