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दुती चंद को 'छत्तीसगढ़ वीरनी पुरस्कार'

दुती चंद को 'छत्तीसगढ़ वीरनी पुरस्कार'

नयी दिल्ली, 08 अप्रैल (वार्ता) देश की शीर्ष फर्राटा धाविका दुती चंद को छत्तीसगढ़ वीरनी पुरस्कार के लिए चुना गया है। इस पुरस्कार के लिए दुती के अलावा अमीरा शाह, तीजन बाई, , शुभा मुद्गल, रेबेका मम्मन जॉन, सब्बाह हाजी, राणा सफवी, बुधरी ताती, केशकुंवर पनिका, अमिता श्रीवास, लक्ष्मी करियारे, याशिका दत्त, अंकिता गुप्ता और सविता अवस्थी अन्य विजेताओं में शामिल हैं।

इन पुरस्कारों को प्रदान करने का मकसद उन महिलाओं का सम्मान करना है जिन्होंने रुढ़िवादी सांचे को तोड़ा कर एक नया मुकाम पाया है और समाज में अपने उल्लेखनीय योगदान से अन्य महिलाओं को सशक्त बनने और बनाने के लिए एक प्रेरणा श्रोत बनी हैं। ये महिलायें छत्तीसगढ़ राज्य के युवाओं के लिए एक रोल मॉडल की तरह उभरी हैं। इस पुरस्कार का मकसद बाबासाहेब आंबेडकर की विरासत और उनके द्वारा शोषित वर्गों के उत्थान के लिए किये गये संघर्ष को भी सम्मानित करना है।

यह पुरस्कार समारोह आंबेडकर जयंती 14 अप्रैल 2021 को वर्चुअली आयोजित किया जाएगा । पुरस्कार विजेताओं में कानून, शिक्षा, साहित्य, इतिहास, संगीत, व्यवसाय, खेल-कूद, कानून प्रवर्तन और सामाजिक कार्य के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ और भारत के अन्य हिस्सों से महिलाओं को इन विभिन्न क्षेत्रों में देश और राज्य स्तर उनके उल्लेखनीय और अग्रणी योगदान के लिए दिया गया है।

इन पुरस्कारों की स्थापना नगर निगम स्मार्ट सिटी रायपुर के महापौर एजाज़ ढेबर एवं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल नेतृत्व में मिलकर की है। पुरस्कार विजेताओं को एक प्रतिमा चिन्ह से नवाजा जाएगा जो स्थानीय लोक कलाओं, हस्तकला और कारीगरी का प्रतीक है। छत्तीसगढ़ सरकार ने एक मास्टर कारीगर के साथ मिलकर विशेष रूप से डोकरा ट्राइबल आर्ट खोई हुई मोम कास्टिंग तकनीक का उपयोग कर एक ट्रॉफी कमीशन की है। इस प्रतिमा में एक महिला को अपने-आप को मुकुट पहनाते हुए दिखाया गया है और यह प्रतिमा पुरस्कार चिन्ह छत्तीसगढ़ सरकार की महिलाओं के प्रति उनके सम्मान भावना और प्रतिबद्धता का प्रतीक है। शॉल और साड़ियों को राज्य द्वारा संचालित महिलाओं के हथकरघा सहकारी से कमीशन किया गया है, और यह क्षेत्र के प्रसिद्ध तुसर और कोसा सिल्क की समृद्ध परंपरा को विशेष डिजाइनों से बखूबी दर्शाता है। राज्य की असाधारण रीति रिवाजों और परंपराओं को दर्शाने के अलावा, ये शॉल और साड़ी कई अन्य महत्वपूर्ण कहानियाँ की झलक भी दिखाती हैं।

वीरनी पुरस्कारों की घोषणा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर 8 मार्च 2021 की गई थी, इसके बाद अप्रैल 2021 के महीने में प्राप्तकर्ताओं की सूची जारी की गई है। यह पुरस्कार मुख्यमंत्री के अभिनंदन का प्रतीक है कि छत्तीसगढ़ सरकार भारतीय और छत्तीसगढ़ी समाज में महिलाओं को सशक्त बनाने और समान मनाने के प्रति दृढ़ संकल्प है। वह एक मुख्य विचार को चिन्हित करते हुए कहते हैं कि एक राष्ट्र, उसकी अर्थव्यवस्था और समाज केवल तभी प्रगति कर सकते हैं जब महिलाएं प्रगति करती हैं। ये पुरस्कार हर क्षेत्र में महिलाओं के अधिक से अधिक प्रतिनिधित्व की तत्काल आवश्यकता पर जोर और महत्व देगा।

      छत्तीसगढ़ वीरनी पुरस्कारों की घोषणा करते हुए, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने "8 मार्च, 2021 को, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को चिह्नित करते हुए छत्तीसगढ़ को एक ऐसा राज्य बनाने का संकल्प किया है जहाँ महिलाएँ स्वतंत्र, सशक्त और आत्मनिर्भर हैं। हमारी सरकार ने महिलाओं के सशक्तीकरण पर केंद्रित विभिन्न कार्यक्रमों और नीतियों को शिक्षा, संसाधनों और अधिकारों के माध्यम से लागू किया है। हम महिलाओं के लिए इन कार्यक्रमों और नीतियों के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी नीतियां बनाते समय महिलाओं के हितों को ध्यान में रखते हुए कार्य करेंगे।

यह हमारा दृढ़ विश्वास है कि शिक्षा, संसाधनों और अधिकारों के साथ महिलाओं को सशक्त बनाना हमारी अर्थव्यवस्था, हमारे समाज, हमारे परिवारों और हमारी संस्कृति को सफलता की ऊंचाइयों को प्राप्त करने में सक्षम बनाएगा। महिलाओं में पोषण और नेतृत्व करने की क्षमता है और यह जरूरी है कि हम उन्हें अपनी पूरी क्षमता प्राप्त करने के लिए खुद को तैयार करने में मदद करें। इस प्रयास के तहत हम छत्तीसगढ़ राज्य में महिलाओं द्वारा किए गए योगदान को पहचानने के लिए इस पुरस्कार की घोषणा कर रहे हैं। हम उन महिलाओं को भी सम्मानित कर रहे हैं जिन्होंने देश भर में अपने अतुल्य योगदान से मिसाल कायम की हैं।हमें उम्मीद है कि यह प्रयास अधिक महिलाओं को अपने चुने हुए क्षेत्रों में लीडर के रूप में उठने के लिए प्रेरित करेगा और पुरुष भी उनके सहयोगी बनेंगे।

यह समारोह भीमराव आंबेडकर की जयंती पर होगा और राष्ट्र निर्माण, दलितों और महिलाओं के अधिकारों के लिए उनके उल्लेखनीय योगदान का सम्मान करेगा। ”

भारत के अन्य राज्यों से पुरस्कार प्राप्त करने वाली महिलायें

1. रेबेका मैमन जॉन कानून के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए: भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक वरिष्ठ अधिवक्ता हैं, वह मुख्य रूप से आपराधिक रक्षा के क्षेत्र में काम करती है। वह 1987 के हाशिमपुरा नरसंहार मामला, 1984 के सिख विरोधी दंगों और आरुषि मर्डर ट्रायल से जुड़े मामलों सहित विभिन्न ऐतिहासिक मामलों का हिस्सा रही हैं। हाल ही में उन्होंने एमजे अकबर मीटू मानहानि मामले में प्रिया रमानी का सफलतापूर्वक बचाव किया है।

2. दुती चंद, खेल के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए: महिलाओं के 100 मीटर स्पर्धा में दुती चंद एक भारतीय पेशेवर धावक और मौजूदा राष्ट्रीय चैंपियन हैं। वह वैश्विक प्रतियोगिता में 100 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय हैं। वह ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों में महिलाओं की 100 मीटर स्पर्धा में क्वालीफाई करने वाली तीसरी भारतीय महिला हैं।

3. शुभा मुद्गल, कला,संगीत और संस्कृति के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए: शुभा मुद्गल हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की एक प्रसिद्ध भारतीय गायिका हैं। उनकी गायकी में खयाल, ठुमरी और दादरा शामिल हैं । यह पुरस्कार उन्हें हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की सर्वश्रेष्ठ परंपराओं को जीवित रखने के लिए तथा उनकी शास्त्रीय संगीत के प्रति प्रतिबद्धता और समर्पण की सराहना करता है, साथ ही साथ इस कला को व्यापक जनता तक पहुंचाने के लिए सराहना करता है जो हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की एक नई पीढ़ी को प्रशिक्षित और तैयार कर रहा है।

4. अमीरा शाह- स्वास्थ्य और महिला उद्यमिता के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए: अमीरा शाह मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर की प्रबंध निदेशक और गैर-लाभकारी संस्था एम्पोवरेस की संस्थापक , वह और उनकी टीम स्वास्थ्य सेवा नैदानिक सेवाओं में उनकी कंपनी के काम के लिए सराहना की गयी है, इसके साथ ही भारत में कोविड -19 संकट से निपटने एवं महिला उद्यमियों को सशक्त बनाने के लिए उठाये गये ठोस क़दमों के लिए उन्हें पहले वीरनी पुरस्कार से नवाजा गया है।

5. याशिका दत्त, पत्रकारिता के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए: याशिका दत्त एक लेखक और पत्रकार हैं, जिनके लिंग, जाति और पहचान पर लेख न केवल उनकी अंतर्दृष्टि के लिए, बल्कि पाठकों के बीच भी काफी प्रभावी साबित हुए हैं। । उनकी पहली पुस्तक ‘कमिंग आउट एज दलित’ जो सामाजिक टिप्पणी के साथ- साथ एक व्यक्तिगत कथा बुनती है, और साथ ही एक व्यापक राष्ट्रीय मुद्दे को लोगों के बीच में सार्वजनिक करती है।

6 सब्बाह हाजी , शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए : सब्बाह हाजी हाजी पब्लिक स्कूल की निदेशक हैं, यह स्कूल 2009 में जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में उनके पैतृक गाँव में उनके परिवार द्वारा स्थापित किया गया था।उन्होंने देखा कि लगातार उग्रवाद और सरकारों के उदासीन रवैये के कारण ग्रामीणों की लगभग दो पीढ़ियों के पास कोई शिक्षा नहीं थी। उन्होंने तब एक अलग तरह का शैक्षिक मॉडल के आधार पर एक स्कूल खोलने के बारे में सोचा और स्कूल ने बच्चों को समग्र शिक्षा हासिल करने में मदद की। उन्होंने 2009 में ब्रेस्वाना में भी हाजी पब्लिक स्कूल शुरू किया।

7 राणा सफ़वी, इतिहास के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए: वे एक लेखक, इतिहासकार, विद्वान और अनुवादक हैं, उनकी पुस्तक ,व्हेयर स्टोन्स स्पीक: हिस्टोरिकल ट्रेल्स इन महरौली, द फर्स्ट सिटी ऑफ़ दिल्ली, द फॉरगॉटन सिटीज ऑफ़ दिल्ली और टेल्स फ्रॉम द कुरान एंड हदीथ आदि काफी प्रचलित हैं। उन्होंने सैयद अहमद खान की असार अस सनदिद और ज़हीर देहलवी की दास्तान-ए-ग़दर एवं सिटी ऑफ़ माय हार्ट (19 वीं और 20 वीं सदी से ) के अनुवादक भी किये हैं। वह लेखन, पॉडकास्ट, वीडियो और सोशल मीडिया मंचों के माध्यम से भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब की एक भावुक प्रस्तावक है।

      छत्तीसगढ़ से पुरस्कृत महिलायें

1- बुधरी ताती, समाज सेवा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए : बड़ी दीदी के नाम से जानी जाने वाली बुधरी ताती ने अपने जीवन के 40 वर्ष सामाजिक सेवा में व्यतीत किये हैं। वह दंतेवाड़ा में रहती है और वहीँ काम करती हैं और प्रतिवर्ष 5 से 12 साल के 50-60 बच्चों के निवास, शिक्षा और प्रशिक्षण की व्यवस्था कर रही हैं। वह महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी काम करती हैं और अब तक 551 महिलाओं (जिनमें से 55 नर्सिंग और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व्यवसायों में जा चुकी हैं) के साथ ऐसा करने में सफल हुई हैं। उनके पास महिलाओं और पुरुषों की देखभाल के लिए एक आश्रम है जो 70 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए है।

2- केशकुंवर पनिका, उद्यमिता और महिलाओं के वित्तीय सशक्तिकरण के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए: उन्होंने 5000 महिलाओं को रोजगार दिया और महामारी के दौरान 40,000 मास्क बनाए; वह महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वयं सहायता समूह चलाती रहती हैं।

3- अमिता श्रीवास, खेल के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए: चम्पा में एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, अमिता श्रीवास ने किलिमंजारो पर्वत जिसकी ऊंचाई 5895 मीटर है और अफ्रीका की सबसे ऊंची पर्वत चोटी है को फतह किया है, उन्होंने 5 रातों तक तक 25 किलो के वजन के साथ यह फतह हासिल की । शिखर पर पहुंचने के बाद उन्होंने जो संदेश दुनिया को भेजा, वह था "गढ़बो नया छत्तीसगढ़" ( "हम एक नए छत्तीसगढ़ का निर्माण करेंगे)"।

4- लक्ष्मी करियारे, शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए: एक दलित कवि और शिक्षाविद, उन्होंने शिक्षा (प्राथमिक शिक्षा), साहित्य और संगीत के क्षेत्र में काम किया है; और उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में (मुख्यमंत्री पुरस्कार) और साहित्य के क्षेत्र में (मुंशी प्रेमचंद पुरस्कार) पुरस्कार से नवाजा जा चुका है।

5- सविता अवस्थी, कानून और कानूनी साक्षरता के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए: सविता अवस्थी एक वकील हैं जो कानूनी सहायता शिविर चलाती हैं और महिलाओं के अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाती हैं , कानूनी साक्षरता बढ़ाने के लिए अथक परिश्रम करती है; वह महिलाओं के लिए मुफ्त में केस लड़ती है। वह महिला एवं बाल विकास विभाग की बाल कल्याण समिति की सदस्य भी हैं और गरीब बच्चों की सुरक्षा और उनके अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए काम करती हैं। वह पुलिस थानों में हिरासत में ली गई महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों पर मुफ्त परामर्श देती है।

6- तीजन बाई, कला प्रदर्शन के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए: तीजन बाई एक जीवित किंवदंती है, वह पंडवानी छत्तीसगढ़ के पारंपरिक कला रूप के प्रतिपादक से पिछले कई दशकों से महाभारत का प्रदर्शन कर रही हैं, । वह पद्म श्री, पद्म भूषण, पद्म विभूषण और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार की विजेता हैं।

7- अंकिता गुप्ता, कबीरधाम में जिला पुलिस बल मे महिला आरक्षक हैं तथा एथलेटिक्स से जुडी हुई हैं तथा पुलिस मीट में छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। वर्तमान में कर्वधा में बालिकाओं को कराटे का प्रशिक्षण देती हैं तथा पुलिस विभाग में भर्ती हेतु बालिकाओं को प्रशिक्षण देने का काम करती हैं।

अगर देश के अन्य राज्यों से तुलना की जाए तो छत्तीसगढ़ एक ऐसा राज्य है जहाँ सबसे ज्यादा संख्या में महिला विधायक हैं। छत्तीसगढ़ की पहली महिला सांसद मिनी माता थीं, जिन्होंने संसद में अस्पृश्यता कानून पारित कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

छत्तीसगढ़ सरकार छत्तीसगढ़ में महिलाओं की शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य और सामाजिक और आर्थिक आत्मनिर्भरता के लिए काम करने के लिए प्रतिबद्ध है और महिलाओं के अनुरूप नीतियों और कानून बनाने पर लगातार जोर दे रही है।

राज

वार्ता

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