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‘पाकिस्तान की विश्वसनीयता उसके विदेशी मुद्रा भंडार से भी तेजी से घट रही है’

‘पाकिस्तान की विश्वसनीयता उसके विदेशी मुद्रा भंडार से भी तेजी से घट रही है’

पणजी, 05 मई (वार्ता) विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी को पाकिस्तान के आतंकवाद के उद्योग का प्रवक्ता करार दिया और कहा कि पाकिस्तान की विश्वसनीयता उसके विदेशी मुद्रा भंडार से भी तेजी से कम हो रही है।

गोवा में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) विदेश मंत्रिपरिषद की बैठक के समापन के बाद बैठक के बारे में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए डॉ. जयशंकर ने ये बात कही। पाकिस्तानी विदेश मंत्री के एससीओ बैठक में दिये गये वक्तव्य और अन्यत्र दिये गये बयानों काे लेकर पूछे गये सवालों पर विदेश मंत्री ने तीखी टिप्पणियां की। उन्होंने कहा कि आतंकवाद का उद्योग पाकिस्तान का मुख्य आधार है और श्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी इस उद्योग के प्रवक्ता बन गये हैं।

पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने भारत के जम्मू कश्मीर, चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे, आतंकवाद, अनुच्छेद 370, जी-20 की बैठक के श्रीनगर में आयोजन आदि का मुद्दा उठाया था। आज ही जम्मू कश्मीर के राजौरी में एक मुठभेड़ के बाद पांच भारतीय सैनिकों के मारे जाने की भी खबर आयी।

इस संदर्भ में पाकिस्तानी विदेश मंत्री की यात्रा के महत्व के बारे में एक सवाल पर विदेश मंत्री ने कहा, “श्री ज़रदारी यहां एक एससीओ सदस्य राज्य के विदेश मंत्री के रूप में आये थे और उनके साथ उसी के अनुरूप व्यवहार किया गया। यह खेद की बात है कि वह आतंकवाद उद्योग के एक प्रवर्तक, औचित्यकर्ता और एक प्रवक्ता के रूप में पेश आये जो कि पाकिस्तान का मुख्य आधार है।”

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) पर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “तथाकथित सीपीईसी, कॉरिडोर पर, मुझे लगता है कि यह एक बार नहीं, बल्कि एससीओ की बैठक में दो बार स्पष्ट किया जा चुका है कि कनेक्टिविटी प्रगति के लिए अच्छी है, लेकिन यह राज्यों की क्षेत्रीय अखंडता एवं संप्रभुता का उल्लंघन नहीं कर सकती है। और यह लंबे समय से हमारा रुख रहा है और यह बात सभी सदस्यों को स्पष्ट किया जा चुका है।”

श्री ज़रदारी द्वारा श्रीनगर में जी-20 कार्यक्रम की मेजबानी के मुद्दे को की गयी टिप्पणियों पर, विदेश मंत्री ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि जी-20 किसी के साथ विवाद का कोई मुद्दा है, निश्चित रूप से ऐसे देश के साथ नहीं जिसका जी-20 से कोई लेना-देना नहीं है और श्रीनगर से भी उनका कोई लेना देना नहीं है। जम्मू-कश्मीर भारत का अंग था, है, रहेगा और रहेगा; और जी-20 कार्यक्रम भारत के सभी हिस्सों में आयोजित किए जाते हैं, और यह पूरी तरह से स्वाभाविक है कि श्रीनगर में भी जी-20 कार्यक्रम आयोजित किए गये हैं और किये जाएंगे।”

अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को लेकर पाकिस्तानी विदेश मंत्री के बयान पर डॉ. जयशंकर ने कहा: “मुझे केवल इतना कहना है कि श्री ज़रदारी नींद से जागें क्योंकि अनुच्छेद 370 अब इतिहास बन चुका है और वह जितनी जल्दी इसे समझ लें उतना अच्छा है। जहां तक जम्मू कश्मीर को लेकर बातचीत का सवाल है तो हमारा केवल एक ही मुद्दा है कि वे बताएं कि जम्मू कश्मीर पर अवैध कब्ज़ा कब खाली करेंगे।

श्री ज़रदारी द्वारा आतंकवाद के मुद्दे पर भारत एवं पाकिस्तान को एक साथ बैठ कर बातचीत करने के सुझाव को डॉ. जयशंकर ने यह कहते हुए खारिज कर दिया, “आतंकवाद के पीड़ित, आतंकवाद के प्रवर्तकों के साथ एकसाथ नहीं बैठते हैं, वे अपनी सुरक्षा करते हैं, वे आतंकवाद के कृत्यों का मुकाबला करते हैं, वे आतंकवाद को उजागर करते हैं और उसे अवैध साबित करते हैं, और यही हम कर रहे हैं।”

उन्होंने कहा, “हम जो कर रहे हैं, हम आतंकवाद का मुकाबला कर रहे हैं और अपना बचाव कर रहे हैं, और इसे उजागर कर रहे हैं, हम राजनयिक अंक नहीं जुटा रहे हैं, हम राजनीतिक और कूटनीतिक रूप से दुनिया के सामने पाकिस्तान को बेनकाब कर रहे हैं, और आतंकवाद के पीड़ित के रूप में मैं ऐसा करने का पूरी तरह से हकदार हूं।”

उन्होंने कहा, “यहां आकर पाखंडी बातें करना जैसे कि हम एक ही नाव में सवार हैं.. वे आतंकवाद के कृत्य कर रहे हैं, तो हम सभी पूरी तरह से आक्रोशित महसूस कर रहे हैं (राजौरी मुठभेड़ का जिक्र करते हुए)। आतंकवाद के मामले में पाकिस्तान की विश्वसनीयता उसके विदेशी मुद्रा भंडार से भी तेजी से घट रही है।”

श्री ज़रदारी के यह कहने पर कि दोनों पक्षों को खेलों को अपने द्विपक्षीय तनाव का बंधक नहीं बनने देना चाहिए, विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर ने कहा, “वह आतंकवाद को सामान्य करने की कोशिश कर रहे हैं। ‘आतंकवाद होता है... तो क्या.. यह कोई बड़ी बात नहीं है, आप जानते हैं कि आतंकवाद होने के कारण होते हैं, वास्तव में इसके लिए बहाने होते हैं, इसलिए बाकी इसे जारी रखें’। मुझे खेद है, यह भारत इसे स्वीकार नहीं करेगा। अगर आतंकवाद होता है, तो आतंकवाद का मुकाबला किया जाएगा। विदेश मंत्रालय में, हमारा काम आतंकवाद का पर्दाफाश करना है, इसे बाहर करना है, इसे अवैध बनाना है, और हम इस संबंध में किसी झांसे में नहीं आएंगे और यह तर्क देकर इसे ढकने के किसी प्रयास को हम नहीं मानेंगे कि हम अन्य चीजें कर सकते हैं और अन्य मुद्दों पर आगे बढ़ सकते हैं। स्पष्ट रूप से वे दर्द महसूस कर रहे हैं, लेकिन हमें खेद है कि उनकी मर्जी नहीं चलेगी।”

श्री ज़रदारी के यह कहने पर कि भारत आतंकवाद के मुद्दे को हथियार बना रहा है, विदेश मंत्री ने कटुतापूर्वक जवाब दिया, “यह बड़ी दिलचस्प बात है और यह अनजाने में उनकी असली मानसिकता को प्रकट करता है। इसका मतलब है कि आतंकवादी गतिविधि वैध है और कोई आतंकवाद को हथियार बना रहा है, जैसे व्यापार को हथियार बनाना, तकनीक को हथियार बनाना। अगर कोई कहता है कि आप आतंकवाद को हथियार बना रहे हैं, तो इसका मतलब है कि आतंकवाद वैध है और हमें इसे हथियार नहीं बनाना चाहिए।”

विदेश मंत्री ने कहा, “आतंकवाद को हथियार मत बनाओ? आपका मतलब है कि एक पीड़ित के रूप में मुझे इसके बारे में नहीं बोलना चाहिए? चलो भी! हम आतंकवाद के शिकार हैं और हमें इसके बारे में नहीं बोलना चाहिए? वह वाक्य एक देश की मानसिकता और स्वयं उनके बारे में बहुत कुछ कहता है, बोलता है।”

श्री ज़रदारी के यह कहने पर कि शांति दोनों देशों की नियति है, विदेश मंत्री ने कहा, “चाहे शांति नियति हो या नहीं, ये मुझे नहीं पता, लेकिन आतंकवाद नियति नहीं हो सकता। एक देश जो आतंकवाद करता है वह एक ही क्षण में शांति की बात नहीं कर सकता। एक देश जो शांति की बात करता है और आतंकवाद करता है... उसकी विश्वसनीयता देखिए... और उस देश का इतिहास खुद बोलता है; केवल प्लेबुक पुरानी थी और स्थान नया था, गोवा।”

यह पूछे जाने पर कि क्या द्विपक्षीय तनाव के बीच श्री ज़रदारी की भारत यात्रा एक सफलता थी, उन्होंने कहा, “क्या यह एक सफलता है? वह एससीओ सदस्य देशों के हिस्से के रूप में यहां आए थे, बहुपक्षीय कूटनीति के हिस्से के रूप में, यह उससे अधिक कुछ नहीं था, और उन्होंने जो कहा और जो मैंने सुना है, उससे कुछ भी अधिक नहीं माना जाना चाहिए।”

सचिन

वार्ता

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