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अब पशुओं के लिये बनेंगे ‘पीजी’

अब पशुओं के लिये बनेंगे ‘पीजी’

(अरुण कुमार सिंह से)

नयी दिल्ली 28 मार्च (वार्ता) शहरों में लोगों विशेषकर छात्रों और कामकाजी व्यक्तियों के रहने के लिये पेइंग गेस्ट यानी पीजी जैसी सुविधा अब दुधारु पशुओं के लिये भी उपलब्ध होगी।

हरियाणा सरकार अपने आप में अनूठी योजना ‘पशुओं का पीजी’ तैयार कर रही है जहां लोग अपने दुधारु पशुओं को रख सकेंगे और उनके दूध का इस्तेमाल कर सकेंगे। इसके तहत शहरों में पशु पीजी बनाये जायेंगे। इसके जरिये उन लोगों का सपना पूरा होगा जो पशु पालना और उसका दूध लेना चाहते हैं लेकिन समय और स्थान की कमी के चलते ऐसा नहीं कर पाते।

राज्य के कृषि मंत्री ओम प्रकाश धनखड़ ने बताया कि शहरों में रहने वाले बहुत से लोग गाय या भैंस रखकर उनका दूध घरेलू उपयोग के लिए लेना चाहते हैं लेकिन शहरों में अपनी समस्या के कारण पशु नहीं रख पाते हैं। वैसे लोग इन पीजी में अपने मन चाहे पशुओं को रख सकेंगे तथा उसके दूध का उपयोग कर सकेंगे ।

हरियाणा सरकार की शुरु में दिल्ली के आसपास के शहरों में पशुओं के पीजी स्थापित करने की योजना है। लोग यहां देसी और विदेशी नस्ल की गाय या भैस रख सकेंगे। पीजी के संचालन के लिए कर्मचारी होंगे जो वैज्ञानिक तरीके से पशुओं का देखरेख करेंगे। यहां से लोग अपने पशुओं का दूध सुबह शाम ले जा सकेंगे। श्री धनखड़ ने बताया कि अब ऐसे एप का विकास हो गया है जिससे लोगों को घर बैठे पता चल सकेगा कि पशुपालन सही तरह से हो रहा है या नहीं। पशुओं को चारा पानी सही तरह से मिलने की जानकारी भी पशुओं के मालिकों को मिल सकेगी। पीजी में पशुओं को चिकित्सा सुविधा भी उपलब्ध करायी जायेगी लेकिन इन सभी कार्यों के लिए लोगों निर्धारित शुल्क चुकाना होगा ।

हरियाणा में करीब छह लाख देसी और नौ लाख विदेशी नस्ल की गाय हैं। इसके अलावा 21 लाख भैंस भी हैं। राज्य में हरियाना, राठी , साहीवाल, गिर, थारपारकर नस्ल की देसी गायों को प्रमुखता से पाला जाता है। राज्य के कुछ हिस्सों खासकर पंचकूला, अम्बाला और यमुनानगर में बिलाही नस्ल की देसी गायों को भी पाला जाता है ।

कृषि मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी के निकट होने के बावजूद हरियाणा इसका अब तक व्यावसायिक लाभ नहीं ले पाया है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में करीब चार करोड़ लोग रहते हैं जो दिन प्रतिदिन की अपनी जरुरतों को बाजार से पूरा करते हैं। हरियाणा उसके निकट होने के बावजूद इतने बड़े बाजार का लाभ नहीं ले पाया है।

उन्होंने कहा कि सरकार योजनायें बना सकती है और उसके लिए पूंजी उपलब्ध करा सकती हैं लेकिन निजी क्षेत्र जिस तरह से व्यापार करते हैं उस तरह वह नहीं कर पाती है। सरकारी क्षेत्र की अलग कार्यशैली है और समस्यायें हैं जिसके कारण वह निजी क्षेत्र से प्रतियोगिता नहीं कर पाता है ।

अरुण, उप्रेती

वार्ता

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