भोपाल, 18 जुलाई (वार्ता) मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आज विधानसभा में कहा कि उनकी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता नौजवान और उन्हें रोजगार मुहैया कराना है और मुख्य रूप से इसी को ध्यान में रखकर सरकार अपनी नीतियां बनाकर चल रही है। उन्होंने कहा कि वे मध्यप्रदेश को 'आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस' का बड़ा केंद्र बनाना चाहते हैं।
श्री कमलनाथ ने औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन, तकनीकी शिक्षा एवं प्रशिक्षण, लोक सेवा प्रबंधन, जनसंपर्क और विज्ञान प्रौद्योगिकी आदि विभागों से संबंधित अनुदान मांगों पर हुयी चर्चा के दौरान हस्तक्षेप करते हुए यह बात कही। मुख्यमंत्री ने लगभग पंद्रह मिनट के अपने संबोधन में कहा कि इस राज्य में बिजली स्टोरेज के क्षेत्र में भी अपार संभावनाएं हैं। इसके मद्देनजर सरकार ने वैश्विक विज्ञापन दिए और चीन की एक कंपनी ने कुछ ही दिनों में इस क्षेत्र में कार्य करने को लेकर रूचि दिखायी है।
श्री कमलनाथ ने कहा कि उन्होंने इस कंपनी के प्रतिनिधियों को तत्काल इस राज्य में आमंत्रित किया और यदि यह कंपनी बिजली स्टोरेज की दिशा में कार्य करती है, तो हम देश में इस क्षेत्र में 'लीड' करेंगे। उन्होंने कहा कि इस राज्य में हम निवेश लाना तो चाहते हैं, लेकिन यह तय करना चुनौती है कि निवेश किस आधुनिक क्षेत्र में आए। उन्होंने प्रौद्योगिकी के संदर्भ में कहा कि यह पल पल में बदल रही है। जैसे कभी सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) काफी संभावनाओं वाला क्षेत्र माना जाता था, लेकिन अब ये भी काफी पुराना हो गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसलिए क्षेत्र विशेष का चयन करना और उसमें निवेश आमंत्रित करना हमारी प्राथमिकता है। इसलिए ही आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के क्षेत्र में हम विशेष ध्यान दे रहे हैं और इसका राज्य को बड़ा केंद्र बनाना चाहते हैं। इस सिलसिले में उनकी देश की एक प्रमुख कंपनी से चर्चा भी हुयी है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि वे उस कंपनी के निवेश को पसंद करेंगे, जिसकी वजह से ज्यादा से ज्यादा युवाओं को रोजगार मिले।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले पंद्रह सालों में निवेश को लेकर काफी कुछ कहा गया, लेकिन हकीकत में यह दिखायी नहीं दिया। वे इसके कारणों में नहीं जाना चाहते हैं, लेकिन अब कैसे अधिक से अधिक निवेश आए, इसके लिए वे कार्य कर रहे हैं। श्री कमलनाथ के संबोधन के बाद संबंधित विभागों की तीन हजार करोड़ रूपयों से अधिक की अनुदान मांगों को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इसके पहले विपक्ष के नेता गोपाल भार्गव ने कहा था कि सरकार को अपनी भविष्य की नीतियों को लेकर स्थिति स्पष्ट करना चाहिए।
प्रशांत
वार्ता