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‘छात्रवृत्ति हड़पने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं हुई’

नैनीताल, 27 फरवरी (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य के 600 करोड़ रुपये के बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले में दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए गुरुवार को सख्त रूख अख्तियार करते हुए सरकार से पूछा है कि उच्च पदों पर बैठे छात्रवृत्ति का पैसा हड़पने वाले सरकारी अधिकारियों के खिलाफ अभी तक क्यों नहीं कार्यवाही की गयी है। सरकार को चार मार्च तक जवाब देने को कहा गया है।
साथ ही उच्च न्यायालय 11 जिलों की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) के प्रमुख संजय गुंज्याल को चार मार्च तक जांच की प्रगति रिपोर्ट अदालत में पेश करने को कहा है। अदालत ने देहरादून और हरिद्वार जिलों की जांच कर रहे एसआईटी के प्रमुख टीएस मंजूनाथ को भी अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने के निर्देश दिये हैं।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन की अगुवाई वाली युगलपीठ ने सरकार से पूछा है कि उच्च पदों पर बैठे उन 10 अधिकारियों के खिलाफ अभी तक क्यों नहीं कार्यवाही की गयी है जिन्होंने अनुसूचित जाति-जनजाति के गरीबों बच्चों की छात्रवृत्ति का पैसा अपने बच्चों के नाम पर हड़पा है। अदालत ने हरिद्वार के निजी कालेज को भी मोहलत नहीं दी है और दो तीन दिन में 50 लाख रुपये की धनराशि एसआईटी के पास जमा कराने के निर्देश दिये हैं। कालेज पर छात्रवृत्ति घोटाले का 1.91 करोड़ रूपये हड़पने का आरोप है।
सरकार की ओर से आज उच्च न्यायालय को बताया गया कि 10 सरकारी अधिकारी भी छात्रवृत्ति घोटाले में आरोपी हैं और आठ अधिकारियों ने छात्रवृत्ति का पैसा वापस जमा कर दिया है। दो ने अभीतक नहीं किया है। इसके बाद अदालत ने सख्त रूख अख्तियार किया और कहा कि सरकार से पूछा है कि इन आरोपी अधिकारियों के खिलाफ सरकार ने अभी तक कानून सम्मत कार्यवाही क्यों नहीं की है। यहां यह भी बता दें कि सतर्कता निदेशक को उच्च न्यायालय ने ऐसे अधिकारियों की जांच के आदेश दिये थे जिन पर उच्च पदों पर बैठकर अपने पालकों के नाम पर छात्रवृत्ति घोटाले का धन हड़पने का आरोप है।
यहां यह भी ध्यान दिला दें कि 500 करोड़ रूपये से अधिक के इस घोटाले की जांच उच्च न्यायालय की निगरानी में की जा रही है। देहरादून के रवीन्द्र जुगरान और अन्य की ओर से जनहित याचिका दायर कर इस मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की मांग की गयी। उच्च न्यायालय ने इस मामले की जांच के लिये एसआईटी के दो दलों का गठन किया गया। देहरादून और हरिद्वार जिलों के मामलो की जांच टीएस मंजूनाथ को सौंपी गयी है जबकि बाकी 11 जिलों की जांच धीरेन्द्र गुंज्याल को सौपी गयी है।
रवीन्द्र.संजय
वार्ता
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