जयपुर, 0़9 सितम्बर (वार्ता)15वें वित्त आयोग ने राजस्थान सरकार से विकास के लिए सामाजिक और आर्थिक
मानकों पर विशेष ध्यान देने को कहा है।
जयपुर में 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एन के सिंह और आयोग के सदस्य तथा अधिकारियों ने आज मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राज्य मंत्रिमंडल के सदस्यों तथा राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में राज्य सरकार ने वित्त आयोग के समक्ष राज्य की आर्थिक स्थिति और विकास के लिए अपने प्रयासों और योजनाओं की जानकारी दी।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि राजस्थान की विशेष भौगोलिक स्थिति के कारण विभिन्न योजनाओं पर खर्च अधिक आता है, इसके बावजूद सरकार ने गरीबी, निरक्षरता और वित्तीय प्रबंधन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। इसके साथ ही राज्य में वन क्षेत्र भी बढ़ा है। आयोग को बताया गया कि शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए दो लाख नए शिक्षकों की भर्ती और मॉडल स्कूल बनाने जैसे कार्य किये गये है। राज्य सरकार ने आयोग को बताया कि राजस्थान में कच्चे तेल के उत्पादन और पर्यटन क्षेत्र में विकास की पर्याप्त संभावनाएं है।
सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार की ओर से वित्त आयोग को दिये गये मांगपत्र में अपनी प्राथमिकताओं के साथ-साथ लक्ष्य हासिल करने में आने वाली समस्याओं का भी उल्लेख किया गया है।
बैठक के दौरान वित्त आयोग ने राज्य में बढ़ रहे राजस्व घाटे, बिजली कंपनियों के घाटे में बढ़ोतरी और पंचायती राज संस्थाओं तथा स्थानीय शहरी निकायों द्वारा उन्हें आवंटित धन का पूरा इस्तेमाल न होने पर चिंता व्यक्त की। आयोग ने बारां, धौलपुर, जैसलमेर, करौली और सिरोही जिलों में सामाजिक, आर्थिक विकास के लिए विशेष प्रयास करने की जरूरत पर बल दिया।
आयोग ने नीति आयोग के हवाले से कहा कि राज्य में तकनीकी रूप से दक्ष लोगों की कमी चिंता का विषय है।
राज्य में कुशल कामगारों की संख्या 2.17 लाख है जो भविष्य की जरूरतों की आधी है। इसी प्रकार अर्ध कुशल लोगों की संभावित संख्या में भी 20 लाख की कमी है।
वित्त आयोग ने राज्य में पेयजल समस्या को दूर करने के लिए 34 चिन्हित ब्लॉक्स पर विशेष ध्यान देने की जरूरत बताई। वित्त आयोग ने इस तथ्य को भी ध्यान में लिया कि राजस्थान पर सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के कारण 10400 करोड़ रूपये का अतिरिक्त भार पड़ा है।
वित्त आयोग ने राज्य में सड़कों की स्थिति और लंबाई बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया और राजस्थान राज्य परिवहन निगम के घाटे में रहने पर चिंता व्यक्त की। आयोग ने जयपुर मेट्रो परियोजना को आर्थिक रूप से सक्षम करने की जरूरत बताई जो अभी भारी घाटे में चल रही है।
बैठक से पूर्व वित्त आयोग ने राज्य के विभिन्न राजनैतिक दलों भारतीय जनता पार्टी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और राष्ट्रवादी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रतिनिधियों से मुलाकात की।
सुनील
वार्ता