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दुनिया


169 देशों में मरुभूमि में बदल रही है जमीन

(अजीत झा से)
अंकारा 17 जून (वार्ता) शहरीकरण और खेती के लिए जमीन की बढ़ती माँग के कारण भारत समेत दुनिया के 169 देशों में जमीन की गुणवत्ता खराब हो रही है और इसके मरुभूमि में बदलने का खतरा पैदा हो गया है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनिओ गुतरेस ने मरुस्थलीकरण के खिलाफ लड़ाई के वैश्विक दिवस पर यहाँ ओयोजित मुख्य कार्यक्रम को वीडियो संदेश के जरिये संबोधित करते हुये कहा कि जमीन की गुणवत्ता की रक्षा और इसके बेहतर इस्तेमाल से मजबूरन होने वाला विस्थापन रुकेगा, बेहतर खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो सकेगी और आर्थिक विकास की रफ्तार बढ़ेगी। यह जलवायु आपातकाल पर विराम लगाने में भी मददगार होगा। उन्होंने दुनिया भर के देशों से मरुस्थलीकरण रोकने के लिए मिलकर प्रयास करने की अपील की। उन्होंने कहा कि इससे विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था को सालाना आठ प्रतिशत का नुकसान हो रहा है।
संयुक्त राष्ट्र के आँकड़ों के अनुसार, मरुस्थलीकरण पर नियंत्रण के लिए किये गये समझौते में शामिल 197 सदस्य देशों में से 169 देश मरुस्थलीकरण के खतरे का सामना कर रहे हैं। आज ही के दिन 25 साल पहले यह समझौता अस्तित्व में आया था। आज के कार्यक्रम में 10 देशों के मंत्री मौजूद थे।
इस समझौते पर सदस्य देशों की 14वीं बैठक इस साल सितंबर में होगी जहां भारत इसकी अध्यक्षता हासिल करेगा।
तुर्की के राष्ट्रपति तैय्यप एर्दोगेन ने अपने संदेश में सामूहिक प्रयास की अपील की। उन्होंने कहा कि दुनिया अभी सागर, महासागर और जमीन पर उपलब्ध जल की रक्षा के लिए जूझ रही है। मरुस्थलीकरण के खिलाफ हम तभी लड़ सकेंगे जब मिलकर काम करें। हमारी अगली पीढ़ी के जीवन में हरियाली सुनिश्चित करने के लिए यह जरूरी है।
श्री गुतरेस और श्री एर्दोगेन कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हो सके।
यूएनसीसीडी के कार्यकारी महासचिव अब्राहम थिआव ने बताया कि 2050 तक दुनिया की आबादी का पेट भरने के लिए खाद्य उत्पादन डेढ़ गुना करना होगा और अन्य कार्यों के लिए भी जमीन की जरूरत होगी। इसलिए मिट्टी की उत्पादकता बनाये रखना जरूरी है। इसके लिए उत्पादक जमीन को अनुत्पादक बनने से रोकने और अनुत्पादक बन चुकी जमीन की उर्वरा शक्ति वापस लानी जरूरी है।
उन्होंने कहा कि 15 करोड़ हेक्टेयर जमीन की उर्वरा शक्ति 2030 तक वापस लाने से छोटे किसानों को 40 अरब डॉलर की अतिरिक्त आमदनी होगी और 20 करोड़ लोगों का पेट भर सकेगा।
तुर्की के कृषि एवं पर्यावरण मंत्री डॉ बेकिर पाकदेमिर्ली ने मरुस्थलीकरण को छुपा हुआ खतरा बताते हुए कहा कि मरुकरण राष्ट्रों की सीमाओं से परे है। उन्होंने इससे लड़ने में तुर्की का अनुभव दूसरे देशों के साथ साझा करने की पेशकश की।
अजीत जितेन्द्र
वार्ता
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