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50 हजार युवाओं को प्रशिक्षण मिलेगा ‘रेल कौशल विकास योजना’ में

50 हजार युवाओं को प्रशिक्षण मिलेगा ‘रेल कौशल विकास योजना’ में

नयी दिल्ली 17 सितंबर (वार्ता) भारतीय रेलवे ने आजादी का अमृत महोत्सव के मौके पर देशभर में अपने 75 प्रशिक्षण संस्थानों के माध्यम से कमजोर तबकों के युवाओं को रेलवे में विभिन्न विधाओं में पारंगत बनाने के लिए ‘रेल कौशल विकास योजना’ का आज शुभारंभ किया जिसमें 50 हजार से अधिक युवाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा।
रेल, संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यहां रेल भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) के अंतर्गत इस योजना का शुभारंभ किया। इस अवसर पर रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुनीत शर्मा तथा रेलवे के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर श्री वैष्णव ने विश्वकर्मा जयंती के मौके पर रेलकर्मियों को बधाई दी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उनके जन्मदिन पर रेलवे की ओर से उपहार के रूप में रेल कौशल विकास योजना को समर्पित करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि कौशल विकास का विजन प्रधानमंत्री श्री मोदी के विजन का अभिन्न अंग है और रेल कौशल विकास योजना के तहत 50 हजार युवाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य गुणात्मक सुधार लाने के लिए युवाओं को विभिन्न ट्रेडों में प्रशिक्षण कौशल प्रदान करना है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि रेल कौशल विकास योजना के तहत दूरस्थ क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया जाए। युवाओं को इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का पूरा पूरा लाभ लेना चाहिए।
उन्होंने कहा कि तीन साल की अवधि में 50 हजार उम्मीदवारों को प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। प्रारंभ में, 1,000 उम्मीदवारों को प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। मुख्यत: चार ट्रेडों में - इलेक्ट्रीशियन, वेल्डर, मशीनिस्ट और फिटर में 100 घंटे का प्रारंभिक बुनियादी प्रशिक्षण दिया जाएगा। क्षेत्रीय मांगों और जरूरतों के आकलन के आधार पर क्षेत्रीय रेलवे और उत्पादन इकाइयों द्वारा अन्य ट्रेडों में प्रशिक्षण कार्यक्रम जोड़े जाएंगे। प्रशिक्षण नि:शुल्क प्रदान किया जाएगा और प्रतिभागियों का चयन मैट्रिक में अंकों के आधार पर एक पारदर्शी तंत्र का पालन करते हुए ऑनलाइन आवेदनों में से किया जाएगा। 10वीं पास और 18-35 साल के बीच के उम्मीदवार आवेदन करने के पात्र होंगे। हालांकि इस प्रशिक्षण के आधार पर योजना में भाग लेने वालों का रेलवे में रोजगार पाने का कोई दावा नहीं होगा।
इस योजना के लिए नोडल इकाई बनारस रेलइंजन कारखाना को बनाया गया है और उसी के द्वारा कार्यक्रम का पाठ्यक्रम विकसित किया गया है जो मूल्यांकन को मानकीकृत करेगा और प्रतिभागियों के केंद्रीकृत डेटाबेस को बनाए रखेगा। यह योजना शुरू में एक हजार प्रतिभागियों के लिए शुरू की जा रही है, जो अप्रेंटिस अधिनियम 1961 के तहत प्रशिक्षुओं को प्रदान किए जाने वाले प्रशिक्षण के अतिरिक्त होगी।
प्रस्तावित कार्यक्रमों, आवेदन आमंत्रित करने वाली अधिसूचना, चयनित उम्मीदवारों की सूची, चयन के परिणाम, अंतिम मूल्यांकन, अध्ययन सामग्री और अन्य विवरण के बारे में सूचना के एकल स्रोत के रूप में एक नोडल वेबसाइट विकसित की जा रही है। वर्तमान में, आवेदक प्रारंभिक चरण में स्थानीय रूप से जारी विज्ञापनों के प्रत्युत्तर में आवेदन कर सकते हैं। ऑनलाइन आवेदन दाखिल करना जल्द ही एक केंद्रीकृत वेबसाइट पर शुरू किया जाएगा।
प्रशिक्षुओं को एक मानकीकृत मूल्यांकन से गुजरना होगा और उनके कार्यक्रम के समापन पर राष्ट्रीय रेल और परिवहन संस्थान द्वारा आवंटित व्यापार में प्रमाणपत्र प्रदान किया जाएगा। उन्हें उनके व्यापार के लिए यथोचित टूलकिट भी प्रदान किए जाएंगे, जिससे इन प्रशिक्षुओं को अपनी शिक्षा का उपयोग करने और स्व-रोजगार के साथ-साथ विभिन्न उद्योगों में रोजगार की क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी।
पूरे देश के युवाओं को इसमें शामिल करने के लिए उपरोक्त ट्रेडों में प्रशिक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से देश भर में फैले 75 रेलवे प्रशिक्षण संस्थानों को चिन्हित किया गया है। यह योजना न केवल युवाओं की रोजगार क्षमता में सुधार करेगी, बल्कि स्वरोजगार के कौशल को भी उन्नत करेगी। इसके साथ ही पुन: कौशल और अप-स्किलिंग के माध्यम से ठेकेदारों के साथ काम करने वाले लोगों के कौशल में भी सुधार होगा जिससे स्किल इंडिया मिशन में योगदान मिलेगा।
सचिन
वार्ता

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