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नैतिकता का बोध जबरन नहीं कराया जा सकता : कुलपति

नैतिकता का बोध जबरन नहीं कराया जा सकता : कुलपति

दरभंगा, 31 अगस्त (वार्ता) ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलपति प्रो. सुरेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि नैतिकता का बोध जबरन नहीं कराया जा सकता है बल्कि व्यक्ति को उसे खुद जागृत करना होगा।



कुलपति ने आज यहां विश्वविद्यालय के शिक्षा शास्त्र विभाग द्वारा आयोजित प्रो.उमाकांत चौधरी मेमोरियल व्याख्यान के तहत “शैक्षिक शोध में नैतिकता का महत्व” विषयक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि ऐसा ज्ञान जो व्यक्ति समाज और देश के लिए उपयोगी हो और वह सामाजिक रूप से प्रासंगिक भी हो एवं समस्याओं का हल करने में सहायक हो उसी पर शोध होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज देश मे चालीस हजार शोध में सिर्फ हजार शोध ही मूल शोध हो रहे हैं। यानी मात्र 2.5 फीसदी। शेष 97.5 फ़ीसदी शोध किसी काम का नहीं है। अब शोधकर्ताओं को सोचना होगा कि वे 2.5 में रहे या 97.5 फ़ीसदी की श्रेणी में।

प्रो. सिह ने कहा कि किसी भी विश्वविद्यालय की रीढ़ उसके शोधार्थी होते है। शोधार्थीसृजन के लिए उन्हें अतिरिक्त प्रयास करना होगा। उन्होंने कहा कि पर्यवेक्षक और शोधार्थी को निर्णय लेना होगा कि विश्वविद्यालय की पहचान मात्र डिग्री देते रहने की श्रेणी में रहे या शोध कार्य में अलग पहचान के लिए।



सं.सतीश

जारी वार्ता

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