पटना 12 जून (वार्ता) बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बताया कि 15 जून को होने वाली चालू वित्त वर्ष की पहली राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) की बैठक में पिछले साल की राज्य साख योजना की उपलब्धियों की समीक्षा की जाएगी।
श्री मोदी ने शुक्रवार को यहां बताया कि 15 जून को आयोजित वित्त वर्ष 2020-21 की एसएलबीसी की पहली बैठक में पिछले वर्ष की राज्य साख योजना की उपलब्धि के साथ ही प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज और आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत केन्द्र सरकार द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज से बिहार में ऋण वितरण की स्थिति की गहन समीक्षा की जाएगी। इस वर्ष के लिए निर्धारित 1.45 लाख करोड़ रुपये की राज्य साख योजना के क्रियान्वयन पर विचार किया जायेगा।
उप मुख्यमंत्री ने बताया कि बैंकों ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए निर्धारित एक लाख 45 हजार करोड़ रुपये की वार्षिक राज्य साख योजना के विरुद्ध वर्ष 2018-19 की तुलना में 4182 करोड़ रुपये कम यानी एक लाख पांच हजार 400 करोड़ रुपये का कर्ज वितरित कर मात्र 72.69 फीसदी ही लक्ष्य हासिल किया जबकि वित्त वर्ष 2018-19 में बैंकों ने 84.29 प्रतिशत लक्ष्य हासिल कर एक लाख 9582 करोड़ रुपये का ऋण वितरित किया था।
श्री मोदी ने बताया कि बैठक में वित्त वर्ष 2018-19 की तुलना में 2019-20 में कृषि, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उपक्रम (एमएसएमई) सहित अन्य क्षेत्रों में बैंकों द्वारा कम ऋण वितरण और 17 बैंकों तथा 22 जिलों की साख उपलब्धि राज्य साख योजना की उपलब्धि से भी कम रहने की भी समीक्षा की जाएगी। इसके साथ ही बैठक में देश के एमएसएमई प्रक्षेत्र को तीन लाख करोड़ रुपये ऋण देने के प्रावधान के तहत बिहार में कितनों को कर्ज मिला के साथ किसान, मछुआरों एवं दुग्ध उत्पादकों को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी), स्वयं सहायता समूह, फुटपाथी दुकानदारों को कर्ज और मुद्रा के तहत शिशु लोन तथा ऋण अदायगी के लिए मोरेटोरियम की भी गहन समीक्षा की जायेगी।
सूरज शिवा
वार्ता