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कोलकाता में लोगों ने सांस लेने के अधिकार की मांग की

कोलकाता में लोगों ने सांस लेने के अधिकार की मांग की

कोलकाता 09 दिसंबर(वार्ता) कोलकाता के सजग नागरिकों ने एकजुट होकर सांस लेने के अधिकार देने की मांग की।

शहर मेें बढ़ते प्रदूषण स्तर पर चिंता जताते हुए डॉक्टरों, वकीलों, छात्रों, गैर सरकारी संस्थाओं के प्रमुखों, कारोबारियों और समाज के अन्य लोगों ने लायंस क्लब कोलकाता एवं अन्य कई संस्थाओं के सहयोग से दक्षिणी एवेन्यू रवीन्द्र सरोबर के सफारी पार्क में आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लिया और स्वच्छ वायु की मांग की और लोगों में यह जागरूकता पैदा करने का प्रयास भी किया कि वर्तमान स्थिति में कैसे सुरक्षित रहा जा सकता है।

पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से स्थापित रवीन्द्र भारती विश्वविद्यालय निगरानी स्टेशन के अनुसार गत दो दिनों में कोलकाता में वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर 10 पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) और 2.5 पीएम की मात्रा 500 अंक तक पहुंच गई है।

कोलकाता क्लीन एयर के अजय मित्तल ने बताया कि नवंबर 2018 में 30 दिनों में हमलोगों ने 21 दिन वायु की गुणवत्ता को ‘खराब’ या ‘अत्यंत खराब’ पाया।

सुरक्षा एवं जागरूकता अभियान के तहत ईएनटी विशेषज्ञ एवं सर्जन डाॅ. राजदीप पी गुहा और वरिष्ठ सर्जिकल इस अवसर पर प्रसिद्ध ऑनकोलॉजिस्ट डॉ. विकाश अग्रवाल ने एन95 मास्क लगाने के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि सामान्य कपड़ों का मास्क या रूमाल से चेहरे को ढंकना पर्याप्त नहीं होता है क्याेंकि पार्टिकुलेट मैटर 2.5 इतना सुक्ष्म होता है कि यह इससे निकलकर हमारे फेफड़े में पहुंच जाता है और खून के प्रवाह में शामिल हो जाता है जो स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह है।

स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. सुमोना सुर ने सुबह में सैर करने वालों को अपने समय में परिवर्तन करने की सलाह दी, उन्होंने कहा कि सुबह या रात में प्रदूषण का स्तर बहुत अधिक रहता है, ऐसे में अपराह्ण में देर से व्यायाम करें।

वकील विनय श्रॉफ ने कहा कि सांस लेने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 में स्थापित हमारे जीवन के संवैधानिक अधिकार का हिस्सा है जो हर व्यक्ति के जीवन को बचाना राज्य का प्रमुख दायित्व है।

रवीन्द्र भारती विश्वविद्यालय और विक्टोरिया स्टेशनों से पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के डाटा के अनुसार सर्दियों की शुरुआत के साथ ही वायु की गुणवत्ता में गिरावट होने लगती है।

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