हुबली, 15 अक्टूबर (वार्ता) थिएटर अभिनेता जी. के. गोविंदा राव का बढ़ती उम्र संबंधी बीमारियों के कारण निधन हो गया है। वह 86 साल के थे। वह 'ग्रहण' जैसी कन्नड़ फिल्मों सहित मशहूर टेलीविजन धारावाहिक 'मालगुड़ी डेज' और 'महापर्व' में भी अभिनय कर चुके हैं।
श्री राव ने गुरुवार रात आखिरी सांस ली। एक बेहतर अभिनेता होने के साथ ही साथ वह एक लेखक, विद्वान और अंग्रेजी के प्राध्यापक भी थे।
विभाजनकारी राजनीति के कट्टर आलोचक श्री रॉव ने साल 2014 के आम चुनावों के दौरान खुलेआम कांग्रेस का समर्थन किया था। उन्होंने 'मदे स्नाना' परंपरा की भी आलोचना की थी।
मदे स्नाना एक ऐसी परंपरा है, जिसमें श्रद्धालु अपनी मन्नत पूरी करने की चाह में उच्च जाति द्वारा खाकर छोड़ दिए गए बचे हुए भोजन पर लोटते हैं। यह दक्षिण कन्नड़ स्थित कुक्के सुब्रह्मण्य मंदिर के बाहर नवंबर से दिसंबर के बीच आयोजित होने वाला एक तीन दिवसीय वार्षिक समारोह है।
श्री राव उस वक्त विवादों में घिर गए थे, जब उन्होंने गांधीनगर में निर्मित कन्नड़ फिल्मों को 'दरिद्र' कहकर बुलाया था। उनके इस बयान का फिल्म निर्माताओं ने विरोध किया था और उनसे मांफी मांगने को कहा था। उन्होंने प्रख्यात लेखक एसएल भयरप्पा और पेजावर शीर की भी इसलिए आलोचना की थी क्योंकि इन्होंने उरुलु सेव को अपना समर्थन दिया था, जो निम्न जातियों के उपचार का एक तरीका है।
वह कई दफा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी आलोचना कर चुके हैं। उन्होंने आरोप लगाया था कि श्री मोदी सिर्फ डॉ बीआर अंबेडकर की सराहना करते हैं, लेकिन दलितों के लिए खड़े नहीं होते हैं। उन्होंने मोदी के कई भाषणों की भी आलोचना की थी।
उनके निधन पर शोक जताते हुए मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि समाज ने एक महान विचारक को खो दिया। विपक्ष के नेता सिद्धारामैया ने कहा कि उनके निधन की खबर से वह हैरान हैं, वह उनके शुभचिंतक, मार्गदर्शक और साथी रहे हैं। उच्च शिक्षा मंत्री सी एन अश्वथनारायण ने कहा कि राव लोकतांत्रिक मूल्यों पर यकीन रखते थे और जब कभी जरूरत पड़ी है, उन्होंने अपनी आवाज उठाई।
अरिजीता.श्रवण
वार्ता