चेन्नई, 26 जनवरी(वार्ता) एड्रियन करमाकर ने छठे खेलो इंडिया यूथ गेम्स में पश्चिम बंगाल का प्रतिनिधित्व करते हुए 50 मीटर तीन पोजीशन स्पर्धा में अपने स्वर्ण पदक का सफलतापूर्वक बचाव किया।
2010 राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण पदक विजेता, 2010 विश्व कप के रजत पदक विजेता और 2012 ओलंपिक में चौथे स्थान पर रहने वाले राइफल निशानेबाज जॉयदीप करमाकर के बेटे एड्रियन 18 साल की उम्र में से ही लक्ष्य पर निशाना साधते रहे हैं।
उन्होंने कहा, “कुछ साल पहले, मैं एक तरह से खेल से दूर हो गया था। मेरा ध्यान केंद्रित नहीं था क्योंकि मैं बहुत छोटी उम्र से शूटिंग कर रहा था। तो फिर एक ऐसा वक्त आया जब मैंने ख़ुद से कहा- 'ठीक है, मेरे पिता मुझे रेंज में जाने के लिए कह रहे हैं। ठीक है, मैं अभी रेंज पर जाऊंगा। मैं बस वहां 1 घंटे तक खड़ा रहूंगा क्योंकि मैं ऐसा नहीं करना चाहता।मैं सिर्फ यूट्यूब देखना चाहता हूं या बस इधर-उधर खेलना चाहता हूं।'
उन्होंने कहा,” मेरे पिताजी ने कहा की क्या तुम शूटिंग करना चाहते हो। यदि आप गोली नहीं चलाना चाहते तो कोई बात नहीं। आप पढ़ाई कर सकते हैं।”
एड्रियन ने कहा कि उनके पिता ने कभी भी मुझे गोली चलाने के लिए मजबूर नहीं किया। उन्होंने मुझसे हमेशा कहा है, 'तुम जो चाहो करो।' मुझ पर कभी उनका दबाव नहीं रहा। और वह इसके प्रति बहुत खुले थे। मैं कुछ साल पहले कला और शिल्प में था। तो फिर उसने मुझे मार्कर पेन और सामान दिलवाया, लेकिन वे शौक थे, है ना। मेरी शूटिंग ही मेरे लिये मुख्य बात थी। उसके बाद, मैंने फिर से अपना ध्यान शूटिंग पर केंद्रित कर दिया। अब मैं बहुत केंद्रित हूं और बस यही चाहता हूं।'
शूटिंग के साथ एड्रियन की शुरुआत को याद करते हुए, जॉयदीप ने कहा, “उसने 8 साल की उम्र में ही शुरुआत कर दी थी। वास्तव में वह 10 साल की उम्र में सीनियर नेशनल के लिए क्वालीफाई करने वाले सबसे कम उम्र के निशानेबाज था। हालाँकि वह इसे लेकर ज़्यादा गंभीर नहीं था।”
जॉयदीप ने आगे कहा,” हाल ही में, 2021 में जब उसने 50 मीटर स्पर्धाओं में भाग लिया, तो शूटिंग के प्रति उसका दृष्टिकोण स्पष्ट रूप से बदल रहा था। हालाँकि हमारे गृहनगर में 50 मीटर की रेंज न होना सबसे बड़ी चुनौती थी,लेकिन उसके पास ज़बर्दस्त धैर्य था और उसने कभी एक भी गोली नहीं चलाई। इससे पहले उसने 50 मीटर रेंज में एक भी शॉट लगाए बिना अपनी पहली राज्य स्तरीय प्रतियोगिता जीती थी! अब वह पहले से कहीं अधिक स्थिर और केंद्रित दिख रहा है।'
समय के साथ, एड्रियन को एहसास हुआ कि एक ही क्षेत्र में एक प्रसिद्ध पिता का बेटा होने के फायदे और नुकसान हैं, और उन्होंने अपेक्षाओं को संभालना सीख लिया है।
एड्रियन ने कहा,”मुझे उनसे बहुत ज्ञान मिलता है। उनसे मुझे एक मजबूत आधार और एक सच्चे निशानेबाज की मानसिकता मिली। लेकिन, निश्चित रूप से, भीड़ से उम्मीदें हैं। और जब मैं खराब शॉट लगाता हूं, तो वे कहते हैं, 'तुम यह कैसे कर सकते हो?' और अगर मुझे जीतना चाहिए, तो वे कहते हैं, 'बेशक, वह ऐसा करेगा।”
प्रदीप
वार्ता