राजकोट, 04 अक्टूबर (वार्ता) अपने पदार्पण टेस्ट में शतक बनाने वाले युवा बल्लेबाज पृथ्वी शॉ ने गुरूवार का कहा कि शुरुआत में वह नर्वस थे लेकिन 5-10 ओवर खेलने के बाद उनमें आत्मविश्वास आ गया।
18 साल के पृथ्वी ने वेस्ट इंडीज के खिलाफ पहले क्रिकेट टेस्ट के पहले दिन गुरूवार को 134 रन बनाने के बाद संवाददाता सम्मलेन में कहा, “शुरू में मैं कुछ नर्वस था क्योंकि यह मेरा पहला टेस्ट था लेकिन 5-10 ओवर खेलने के बाद मेरे अंदर आत्मविश्वास आने लगा। बल्ले से बॉउंड्री आ रही थीं और मुझे कुछ ढीली गेंदें खेलने को मिल रही थीं जिससे मुझे अपने शॉट खेलने में आसानी हुई। जो अच्छी गेंदें थीं मैंने उन्हें उनकी योग्यता के आधार पर खेला।”
अपने पदार्पण टेस्ट में किसी तरह के दबाव पर इस युवा बल्लेबाज ने कहा, “मेरा उसूल साफ़ है कि गेंद को उसकी मेरिट पर खेलो, फिर चाहे प्रथम श्रेणी क्रिकेट हो यह टेस्ट मैच। मैं जैसे हर मैच में खेलता आया हूं उसी तरह आज भी खेला। मैंने कुछ नया या अतिरिक्त करने की कोशिश नहीं की।”
पृथ्वी ने साथ ही कहा, “इंग्लैंड में सीनियर खिलाड़ियों के साथ ड्रेसिंग रूम साझा करने का अनुभव उनके काम आया। इंग्लैंड में सभी सीनियर खिलाड़ियों, कप्तान विराट कोहली और कोच रवि सर ने बराबर मेरा हौसला बढ़ाया और मुझे सहज किया। अब तो मुझे लगता है कि सभी मेरे दोस्त की तरह हैं।”
अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट को एक अलग अनुभव बताते हुए पृथ्वी ने कहा, “अंडर-19, घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में काफी फर्क है। घरेलू क्रिकेट में आप अपने ही साथी खिलाड़ियों के साथ खेलते हैं लेकिन अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में गेंदबाजों में गति होती है, उनके पास अनुभव होता है और उन्हें खेलना आसान नहीं होता है।”
ओपनिंग में उतरने के बारे में पूछे जाने पर युवा खिलाडी ने कहा, “यह फैसला कप्तान और कोच को करना था कि मुझे कहां खेलना है। वैसे मुझे जहां भी कहा जाता मैं वहीं खेलने के लिए भी तैयार था। मुझे ओपनिंग में जगह दी गयी और मैंने इस मौके का पूरा फायदा उठाया। मेरे दिमाग में सिर्फ एक ही बात थी कि स्कोरबोर्ड को आगे बढ़ाये रखना है और मैंने वही किया।”
पृथ्वी ने इस शतक का श्रेय अपने पिता को देते हुए कहा, “मैं इसका श्रेय उन्हें देना चाहूंगा क्योंकि उन्होंने मेरे लिए बड़ा त्याग किया है और आज मैं यहां उन्ही की वजह से हूं।”