नयी दिल्ली, 22 अक्टूबर (वार्ता) बोफोर्स तोप दलाली मामले में उच्चतम न्यायालय में अपील दायर करने वाले अधिवक्ता एवं भारतीय जनता पार्टी नेता अजय अग्रवाल ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से इस मामले में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर करने के बजाय हलफनामा दायर करने का अनुरोध किया है, ताकि मामला और अधिक समय तक न लटके। श्री अग्रवाल ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को कल देर शाम एक पत्र लिखकर उनसे इस मामले में अलग से एसएलपी दायर न करने का अनुरोध किया है। वर्ष 2014 के आम चुनाव में रायबरेली सीट से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले श्री अग्रवाल ने कहा है कि जांच एजेंसी को बोफोर्स दलाली मामले में 12 वर्ष से लंबित आपराधिक अपील में अपना जवाब दायर करना चाहिए, न कि एसएलपी। उच्चतम न्यायालय के वकील श्री अग्रवाल ने लिखा है कि मीडिया में प्रकाशित खबरों से उन्हें यह पता चला है कि सीबीआई ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) को पत्र लिखकर 12 वर्ष बाद इस मामले में अपील दायर करने की सरकार से अनुमति मांगी है। इससे मामले की सुनवाई और अधिक प्रभावित होगी। उन्होंने लिखा है, “इससे बेहतर होगा कि सीबीआई शपथ-पत्र के माध्यम से अपना जवाब न्यायालय को सौंपे, जिसमें प्रस्तावित एसएलपी के सभी पहलुओं पर प्रकाश डाला गया हो। चूंकि सीबीआई लंबित मामले में एक प्रतिवादी भी है और उसे आठ नवम्बर 2005 को ही शीर्ष अदालत ने नोटिस जारी कर दिया था, जिसका जवाब जांच एजेंसी ने अभी तक नहीं दिया है।” श्री अग्रवाल ने सीबीआई से किये अपने अनुरोध के समर्थन में कहा है कि सबसे पहले तो सीबीआई को इस मामले में एसएलपी दायर करने में हुई 12 वर्ष की देरी का कारण बताना होगा और यदि शीर्ष अदालत नोटिस जारी भी करती है तो उसे हिन्दुजा बंधुओं को तामील कराने में लंबा वक्त लग सकता है। गौरतलब है कि दिल्ली उच्च न्यायालय के 2005 के फैसले के खिलाफ सीबीआई ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाने के बजाय चुप्पी साधना उचित समझा था, जबकि श्री अग्रवाल ने ही फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी। हाल ही में उन्होंने शीर्ष अदालत में याचिका दायर करके इस मामले की त्वरित सुनवाई का आग्रह किया था, जिसके लिए उसने हामी भर दी थी। इसी रजामंदी के तहत उच्चतम न्यायालय 30 अक्टूबर को शुरू हो रहे सप्ताह में बोफोर्स मामले में श्री अग्रवाल की अपील पर सुनवाई करने वाला है। सुरेश जितेन्द्र वार्ता