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कृषि में क्रांतिकारी बदलाव के लिये लाये गये हैं कृषि विधेयक-चौधरी

कृषि में क्रांतिकारी बदलाव के लिये लाये गये हैं कृषि विधेयक-चौधरी

जयपुर, 26 सितम्बर (वार्ता) केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा है कि केंद्र सरकार ने कृषि में क्रांतिकारी बदलाव के लिये इन कृषि विधेयकों को लाया गया है, जिससे किसान आत्मनिर्भर होगा।

श्री चौधरी ने आज यहां पत्रकारों से कहा कि यह आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। उन्होंने कहा कि पहले किसान अपने जिले की उपज मंडियों में ही बेचने को बाध्य था, उसे अपनी फसल की कीमत तय करने की आजादी नहीं थी, लेकिन 70 वर्ष में पहली बार किसान पूरी तरह आजाद हुआ है। अब वह अपनी फसल किसी भी राज्य और जिले में बेच सकता है।

उन्होंने कहा कि अब मंडियां मनमाना टैक्स नहीं वसूल सकतीं। पंजाब में किसानों की फसलों पर साढ़े आठ प्रतिशत टैक्स है। मंडियों में ही बेचने की बाध्यता के चलते किसान टैक्स देने को मजबूर है। व्यापारी बोली लगाकर जो भाव तय कर देता है, किसान को उसी औने पौने भाव पर बेचना पड़ता है। क्योंकि वह मंडी में रुकने का इंतजार नहीं कर सकता। अब वह मंडी के बाहर अपनी उपज बेचने के लिये स्वतंत्र है। इससे उसे टैक्स नहीं देना पड़ेगा। किसी भी व्यापारी को अपनी तय कीमत पर बेच सकता है। इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और इससे किसान को लाभ होगा। किसान को भी जल्दी भुगतान मिलेगा क्योंकि व्यापारी को तीन दिन में भुगतान करने का इस कानून में प्रावधान किया गया है।

श्री चौधरी ने कहा कि व्यावसायिक खेती वक्त की मांग है। मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा विधेयक करार विधेयक इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। इसमें बीज बोने से पहले ही फसल के दाम तय हो जायेंगे। किसान अपनी दर पर व्यापारी से करार करेगा। कुछ राज्याें में ऐसा कानून है भी। व्यापारी से किसी तरह का विवाद होने पर एसडीएम स्तर के अधिकारी विवाद का निपटारा करेंगे। एसडीएम काे एक महीने में विवाद का निपटारा करना होगा। किसानों से करार पर खेती में किसानों के हितों का ध्यान रखा गया है। इसके अलावा करार के बाद फसल तैयार होने पर कीमतें बढ़ जाती हैं तो किसानों को हक दिया गया है कि वह व्यापारी द्वारा दी गयी अग्रिम राशि का भुगतान करके करार से हट सकता है और फसल अपनी इच्छानुसार बेच सकता है। इसके अलावा अगर कोई व्यापारी संविदा के बाद किसान के खेत में कोई निर्माण करता है तो वह करार खत्म होने के बाद उसे निर्माण हटाना होगा अथवा उस पर किसान का ही अधिकार होगा।

श्री चौधरी ने कहा कि यह भ्रांति फैलाई जा रही है कि इससे बड़े व्यापारी किसान की जमीन पर कब्जा कर लेंगे, यह पूरी तरह गलत है, क्योंकि करार जमीन का नहीं बल्कि फसल पर होगा। किसी तरह का विवाद होने पर भी किसान की फसल से वसूली की जा सकती है, उसकी जमीन से नहींं, जमीन किसान की ही रहेगी। किसान द्वारा लिया गया अग्रिम तुरंत नहीं चुका पाया तो वह अगली फसल पर चुका सकेगा। या किश्तों में भी चुकाने का प्रावधान किया गया है।

उन्होंने कहा कि विपक्ष द्वारा कहा जा रहा है कि छोटा किसान अपनी फसल दूसरे जिले में ही नहीं बेच सकता तो दूसरे राज्यों में कैसे बेचगा। इसके लिये देश में 10 हजार किसान उत्पादक संगठन हैं जो समूह बनाकर फसलें दूसरे राज्यों में भेज सकते हैं।

एक सवाल के जवाब में चौधरी ने कहा कि एमएसपी का निर्धारण करना प्रशासनिक निर्णय है, इस पर कोई कानून अब तक नहीं बनाया गया है।

सुनील

वार्ता

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