जयपुर 25 सितम्बर (वार्ता) राजस्थाान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केन्द्र सरकार द्वारा लाये गये तीन कृषि विधेयकों को किसानों के लिए घातक बताते हुये कहा कि सरकार ने पूजीपतियों के हित में यह एकतरफा निर्णय लिया है।
श्री गहलोत ने आज यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि देश के किसान खुद ही स्टोक होल्डर थे, किसानों की भागीदारी थी, बगैर उनके संगठनों से बात किए इस विधेयक को लाया गया है। उन्होंने कहा कि इसके लिए बगैर व्यापारियों से बात किए हुए जो 40 साल पुराना कानून था। राज्यों के अंदर और 40-50 साल लग गए कृषि मंडियों को जमने के अंदर उनको सरकार ने एक झटके में उखाड़ फेंकने का निर्णय लिया है।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने बड़े-बड़े व्यापारियों-पूंजीपतियों को छूट दे दो कि आप जो मर्जी चाहे कर सकते हो। उन्होंने कहा कि आप कल्पना कर सकते हैं कि आने वाले वक्त में क्या हालात होने वाले हैं। किसानों की क्या स्थिति बनने वाली है, कोई कल्पना के बाहर की बात है। किसान समझदार है, वो समझता है उसके हित किस रूप में सुरक्षित रह सकते हैं।
श्री गहलोत ने कहा कि देश में लोकतंत्र खतरे में है। जब से केन्द्र में राष्ट्रीय गठबंधन एनड़ीए सरकार आई है तब से चाहे नोटबंदी हो, चाहे जीएसटी हो, चाहे लॉकडाउन का फैसला हो इससे आमजनमानस को प्रभावित किया है।
उन्होंने कहा कि सभी विपक्षी दलों के नेताओं ने जाकर राष्ट्रपति महोदय से बात की कि आपको चाहिए कि आप कृषि बिल पर दस्तखत नहीं करें। इसके खिलाफ देश में बहुत बड़ा आंदोलन खड़ा हुआ है।
रामसिंह
वार्ता