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जैविक आदानों की आपूर्ति के लिए कृषि विश्वविद्यालय आगे आएं: आनंदीबेन

जैविक आदानों की आपूर्ति के लिए कृषि विश्वविद्यालय आगे आएं: आनंदीबेन

होशंगाबाद, 29 दिसंबर (वार्ता) मध्यप्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा है कि जैविक आदानों की आपूर्ति के लिए कृषि विश्वविद्यालय आगे आएं। कृषि विश्वविद्यालय किसानों को जैविक बीज, खाद और कीटनाशक उपलब्ध कराने की कार्ययोजना पर अमल करें।

श्रीमती पटेल आज जिले के पंवारखेड़ा में आयोजित जैविक उन्नत कृषि कार्यक्रम में किसानों को संबोधित कर रहीं थी। इस अवसर पर मंत्री किसान कल्याण एवं कृषि विकास कमल पटेल भी मौजूद थे। राज्यपाल ने कहा कि किसानों को जैविक आदानों की आपूर्ति की आवश्यकता का संकलन किया जाए। उसके अनुसार आगामी दो-तीन वर्षो में आपूर्ति की व्यवस्था की जाए।

उन्होंने कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों से कहा कि उन्नत जैविक खाद्यान्न, खाद और कीटनाशकों का उत्पादन किसानों के खेतों पर कराएं ताकि आसपास के अन्य किसान भी जैविक उत्पादन के लिए प्रेरित हों। श्रीमती पटेल ने कहा कि रसायनिक खादों के उपयोग से होने वाले उत्पाद स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक हैं। उन्होंने कहा कि यदि आंकड़े लिए जाएं तो कैंसर से मरने वालों की संख्या किसी अन्य संक्रमण से होने वाली मौतों से अधिक होगी। उन्होंने कहा कि विकास के लिए एकीकृत दृष्टि के साथ प्रयास किये जाना जरूरी है।

श्रीमती पटेल ने कहा कि गोबर से जैविक खाद, कीटनाशक और पोषक तत्वों का सफल उत्पादन गुजरात में हो रहा है। उत्तरप्रदेश में भी 10 हजार गायों के गोबर से जैविक उत्पादों के उत्पादन की परियोजना शुरू हुई है। उन्होंने विकास के लिए खाकों में नहीं एकीकृत प्रयासों की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि गाँवो के समग्र विकास की सोच के साथ कार्य किया जाए तो अनेक समस्याएं समाप्त हो जाएंगी।

उन्होंने कुपोषण की समस्या का उदाहरण देते हुए कहा कि यदि किसान थोड़ी सी सब्जी आँगनबाड़ी और मध्यान्ह भोजन में देने लगे तो बच्चों को पौष्टिक भोजन मिलने लगेगा। उन्होंने कहा कि बच्चे देश का भविष्य हैं। उनके स्वास्थ्य के लिए महिलाओं, बेटियों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना होगा क्योंकि स्वस्थ माँ से स्वस्थ बच्चे का जन्म होगा। उन्होंने महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए उनके आर्थिक स्वावलंबन पर विशेष बल दिया और कहा कि महिला स्व-सहायता समूह इसका सफल तरीका है।

राज्यपाल ने कार्यक्रम स्थल पर जैविक कृषि उत्पादों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया और कृषको से संवाद कर, उन्हें उत्पादों का मूल्य संवर्धन कर विक्रय के लिए प्रेरित किया। जैविक उत्पादों की गुणवत्ता की सराहना करते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के बजाय अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) पर विक्रय के लिए प्रोत्साहित किया।

कार्यक्रम में राज्य के किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री कमल पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों को आत्मनिर्भर बनाया है। उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर नहीं, अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) पर फसल बेचने का अधिकार दिया है। उन्होंने कहा कि अभी तक उत्पादक किसान बहुत थे, मगर खरीददार व्यापारी थोड़े से होने के कारण फसल का सही मूल्य नहीं मिल पाता था।

उन्होंने कहा कि अब किसान स्वयं अपने उत्पादन को बेचने में सक्षम हो गया है। वह खाद्यान्न उत्पादक संघ बनाकर अधिकतम खुदरा मूल्य प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि स्वामित्व योजना से आजादी के 70 सालों के बाद किसानों को आबादी की जमीन का अधिकार मिल रहा है। अब वह भी अपनी संपत्ति के आधार पर बैंको से ऋण लेकर अपना व्यवसाय खड़ा कर सकता है।

कार्यक्रम में जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति पी के बिसेन ने बताया कि पंवारखेड़ा कृषि अनुसंधान केन्द्र की स्थापना वर्ष 1903 में हुई है। इस अवधि में केन्द्र द्वारा 53 उन्नत गेहूं की किस्मों का आविष्कार किया है। उन्होंने किसानों से नरवाई नहीं जलाने की अपील करते हुए कहा कि केन्द्र से बायो डाइजेस्टर प्राप्त कर नरवाई को 15 दिनों में जैविक खाद में बदला जा सकता है। इस अवसर पर विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष सीतासरन शर्मा, जिला पंचायत अध्यक्ष कुशल पटेल भी मौजूद थे।

बघेल

वार्ता

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