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अखिलेश भारतीय राजनीति के औरंगजेब: निर्मल

अखिलेश भारतीय राजनीति के औरंगजेब: निर्मल

लखनऊ 23 फरवरी (वार्ता) अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के अध्यक्ष लालजी प्रसाद निर्मल ने समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव को भारतीय राजनीति के औरंगजेब करार देते हुये कहा कि जिसने अपने पिता को राजनीति से बेदखल कर उन्हें घर में बैठने के लिए मजबूर कर दिया, ऐसे मुगल शासक की विचारधारा के लोगों को प्रदेश की जनता कभी माफ नहीं करेगी।

डा निर्मल ने मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में दावा किया कि विधानसभा चुनाव में कहीं दूर-दूर तक अखिलेश यादव दिखाई नहीं पड़ेंगे। सपा अध्यक्ष पर हमलावर होते हुये उन्होने कहा कि डॉ आंबेडकर के मानने वालों से श्री यादव नफरत करते हैं। वह केवल वोट बैंक के लिए समय-समय पर दिखावा करते रहते हैं। अखिलेश सरकार में कुल 195 लोगों को यशभारती पुरस्कार दिए गए, इसमें से एक भी दलित विद्वान नहीं थे। यह दर्शाता है कि वह केवल मुगल मानसिकता से काम करते हैं।

उन्होने कहा कि कांशीराम उर्दू, अरबी-फारसी यूनिवर्सिटी जो लखनऊ में है उसका नाम बदल कर ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती उर्दू, अरबी-फारसी यूनिवर्सिटी कर दिया गया है, जबकि बाबा साहेब की पत्नी के नाम पर बने रमाबाई नगर जिले का नाम बदल कर कानपुर देहात कर दिया।

डॉ निर्मल ने श्री यादव की राजनीति को परिवार और एक जाति विशेष की राजनीति बताया और कहा कि सपा में दलितों का कोई स्थान नहीं है। उनकी पार्टी में अनुसूचित जाति मोर्चे का कोई अध्यक्ष तक नहीं है। यही हाल उनकी उत्तर प्रदेश की सरकार में भी था। दलितों की आवाज को दबा दिया जाता था। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सु्प्रीमो मायावती से निजी शत्रुता का बदला श्री यादव ने दलितों से लिया। दलितों से इतनी नफरत थी कि उन्होंने गैरदलितों को अनुसूचित जाति आयोग और वित्त निगम का अध्यक्ष तक बना दिया।

उन्होने कहा कि श्री यादव तो अपना जन्मदिन तक देश में नहीं मनाते हैं। ऐसे नेताओं को हमारा गरीब, किसान, हाशिए का समाज हवाई नेता समझता है। वह दिन दूर नहीं, जब श्री यादव पूरे देश में कहीं से भी चुनाव नहीं जीत पाएंगे। वह चुनाव जीतने के लिए, ऐसा लोकसभा क्षेत्र चुनते हैं जहां उनकी जातियों की संख्या सबसे अधिक हो, लेकिन उनका सजातीय समाज भी अब जान गया है कि वह वोट भले ही पूरे समाज का लेते हैं, लेकिन वह केवल परिवार की राजनीति करते हैं। केवल परिवार का ही भला करते हैं। अब तो उनके परिवार में भी केवल दो ही सांसद रह गए हैं।

भाजपा नेता ने कहा कि अब वक्त आ गया है, जब जातिवादी राजनीति और परिवारवादी पार्टियों को नकार दिया गया। फर्जी समाजवाद और फर्जी बहुजनवाद के खतरों से वे पूरे प्रदेश के दलित समाज को अवगत कराएंगे। समाजवाद और बहुजनवाद के नाम से दलितों-पिछड़ों को छलने वाले क्षेत्रीय दलों ने प्रदेश में जातिवाद को मजबूत कर आर्थिक साम्राज्य और परिवारवाद को बढ़ाने का काम किया।

प्रदीप

वार्ता

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