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अखिलेश के नेतृत्व में होगा नव-राजनीतिक विकल्प का जन्म : शिवपाल

अखिलेश के नेतृत्व में होगा नव-राजनीतिक विकल्प का जन्म : शिवपाल

लखनऊ 08 जून (वार्ता) राजनीति के दिग्गजों से भरपूर ‘यादव परिवार’ में तकरीबन तीन साल पहले पनपी खट्टास न सिर्फ कम हो रही है बल्कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नये समीकरण की चर्चा को जन्म देती नजर आ रही है।

कुछ रोज पहले समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने चाचा एवं प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) संस्थापक शिवपाल सिंह यादव की विधायकी रद्द करने संबंधी विधानसभा में दाखिल याचिका को वापस लिया था जिसके जवाब में शिवपाल ने भतीजे अखिलेश के प्रति आभार जताते हुये उनके नेतृत्व में नया राजनीतिक विकल्प खड़ा करने के संकेत दिये।

शिवपाल का पिछली 29 मई को अखिलेश को लिखा पत्र सोमवार को वायरल हो गया जिसमें प्रसपा अध्यक्ष ने लिखा “ प्रिय अखिलेश, आपके आग्रह पर विधानसभा अध्यक्ष द्वारा मेरी विधानसभा सदस्यता खत्म करने के लिए दी गई याचिका को वापस कर दिया गया है। इस स्नेह पूर्ण विश्वास के लिए आपका कोटिश: आभार। निश्चित ही यह मात्र एक राजनीतिक परिघटना नहीं बल्कि यह आपके इस तरह के स्पष्ट सार्थक व सकारात्मक हस्तक्षेप से राजनीतिक परिधि में आपके नेतृत्व में एक नव राजनीतिक विकल्प व नवाक्षर का जन्म होगा।”

शिवपाल के पत्र की पुष्टि करते हुये प्रसपा के सूत्रों ने बताया कि यह सही है कि पत्र के जरिये श्री शिवपाल सिंह यादव ने सपा अध्यक्ष के प्रति आभार व्यक्त किया है लेकिन यह पत्र मीडिया को जारी नहीं किया गया बल्कि कहीं से लीक होकर वायरल हो गया है।

गौरतलब है कि पिछले साल चार सितम्बर को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने श्री शिवपाल सिंह सादव की सदस्यता खत्म करने के लिए याचिका विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित के समक्ष दाखिल की थी। इस याचिका का परीक्षण हो ही रहा था कि सपा ने याचिका वापस लेने का अनुरोध इस तर्क पर किया था कि उसमेंकई महत्वपूर्ण अभिलेख व साक्ष्य याचिका के साथ संलग्न नहीं किए गये।

इस साल होली के मौके पर सैफई में आयोजित कार्यक्रम में सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के साथ शिवपाल सिंह यादव भी साथ थे। होली मिलन कार्यक्रम के दौरान ही अखिलेश ने शिवपाल के पैर छूकर आर्शीवाद लिया था। तभी से इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि दोनों के रिश्तों में कुछ सुधार हुआ है। वहीं उसी कार्यक्रम में शिवपाल ने मुलायम के साथ रामगोपाल के भी पैर छूकर आशीर्वाद लिया था। शिवपाल और अखिलेश के एक मंच पर आते ही कार्यकर्ताओं ने चाचा-भतीजा जिंदाबाद के नारे भी लगाए थे।

इससे पहले 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले यादव परिवार में वर्चस्व की जंग छिड़ गई थी जिसके बाद अखिलेश ने सपा पर अपना एकछत्र राज कायम कर लिया था। अखिलेश और शिवपाल के बीच गहरी खाई को पाटने की कोशिश सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव और अन्य बड़े नेताओं ने की लेकिन सफलता नहीं मिली।

लोकसभा चुनाव से पहले शिवपाल ने अपने समर्थकों के साथ समाजवादी मोर्चे का गठन किया और फिर कुछ दिनों के बाद उन्होंने अपने मोर्चे को प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) में तब्दील कर दिया। लोकसभा चुनावों 2019 में शिवपाल यादव ने भाई रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव के खिलाफ फिरोजाबाद सीट से ताल ठोकी थी और दोनों चुनाव हार गए थे. लोकसभा चुनाव के बाद शिवपाल और अखिलेश के सामने राजनीतिक वजूद को बचाए रखने की चुनौती है. ऐसे में अब दोनों नेताओं के बीच सुलह समझौते के लिए मुलाकात का दौर शुरू हो चुका है और अब देखना है कि शिवपाल यादव की घर वापसी होती या फिर नहीं।

प्रदीप

वार्ता

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