इटावा,15 अगस्त (वार्ता) समाजवादी पार्टी (सपा)अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव स्वतंत्रता दिवस एवं रक्षाबंधन के मौके पर अपने पैतृक गांव सैफई में बिल्कुल नए अंदाज में दिखे ।
श्री यादव ने यहां खुद कुछ बोलने से ज्यादा लोगों से उनकी बातें सुनी और जनसंवाद से रूबरू होते लोगों के राष्ट्रीय ,संगठनात्मत्मक और स्थानीय मुद्दों पर विचार घण्टों सुने ।
उन्होंने युवाओं को बोलने की खुली छूट दी। उनके सामने युवाओं ने उनकी कार्यशैली पर भी प्रश्न चिन्ह जड़े, साथ ही दो टूक कहा कि आपसे जुड़े लोग ही भ्रम की स्थिति पैदा करते हैं । जनता की बात आप तक नही पहुंचने देते । ऐसे लोग ही मुगालते में जमीनी रिपोर्ट से आपको अवगत नहीं होने देते।
इस पर लगभग सभी लोगों ने कहा कि आपके विकास कामों की जनता में पुरजोर चर्चा है, लेकिन जनभावनाएं वोटों में तब्दील क्यों नही होतीं, इस पर पार्टी संगठन को गम्भीरता से विचार करना चाहिए।
कन्नौज से आये एक कार्यकर्ता ने मायावती के मंच पर पैर छुए जाने की घटना को कुत्सित प्रचार में तब्दील किये जाने, वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कुम्भ में अनुसूचितों के पैर धोने को बढ़चढ़कर सकारात्मक रूप देने को लेकर अपनी बात रखी। वहीं कुछ ने मीडिया पर भी टिप्पड़ी भी की । कश्मीर में धारा 370 के लेकर भी युवाओं ने अपनी बात रखी और अध्यक्ष अखिलेश के वक्तव्य पर भी टिप्पणी की ।
कई युवाओं ने पूर्व मुख्यमंत्री को सलाह दी कि वह अब हर जिले में एक, दो दिन जाकर ठहरें और सीधा जनसंवाद करें। भाजपा सत्ता द्वारा पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं के विरुद्ध उत्पीड़नात्मक कृत्य शुरू किए जाने पर भी उत्तेजना के स्वर गूंजे।
अखिलेश यादव रक्षाबंधन पर्व पर बुधवार शाम ही सैफई पहुंच गए थे और आज आसपास के जिलों की भीड़ जुटने लगी थी। करीब नौ बजे अखिलेश निकले और घर के लॉन में बैठ गए। सबसे पहले उन्होंने अपने गांव की हाइस्कूल-इंटरमीडिएट परीक्षा वर्ष 2019 की 20 टॉपर लड़कियों को अपने शिक्षा ट्रस्ट की ओर से 10-10 हजार रुपये के चेक पुरुस्कार स्वरूप प्रदान किये और इस धनराशि का उपयोग शिक्षा पर करने की अपील भी की ।
इस मौके पर उन्होंने दूरदराज से आये लोगों से बातचीत की और कहा है कि यह त्यौहार न केवल भाई बहन के रिश्तों को पूरा आदर देता है बल्कि आत्मीयता और स्नेह के बंधन से रिश्तों को मजबूती भी प्रदान करता है । उन्होंने कहा कि यह पर्व भावनाओं से जुड़ा है। इस त्यौहार का इतिहास में भी उल्लेख मिलता है। परस्पर स्नेह और सौहार्द के प्रतीक रूप से इसे मनाया जाना चाहिए।
सं त्यागी
जारी वार्ता