चंडीगढ़, 06 अप्रैल(वार्ता) हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद कुमारी सैलजा ने राज्य में फसल की खरीद पंजीकरण के माध्यम से होना, किसानों को खुद ही भंडारण की व्यवस्था करना, फसल खरीद का जून माह तक चलना जैसे राज्य सरकार के फैसलों को पूरी तरह से किसान विरोधी बताया है।
कुमारी सैलजा ने आज यहां जारी एक बयान में कहा कि जिन किसानों ने पंजीकरण करा रखा है, सरकार उन किसानों को फसल बेचने के लिए बारी-बारी से बुलाएगी। यह प्रक्रिया जून माह तक चलेगी। इसलिए किसानों को घरों में ही अपनी फसल का भंडारण करना होगा। उन्होंने कहा कि पहले ही बारिश और ओलावृष्टि से किसानों को बड़ा नुकसान हो चुका है। अब कोरोना महामारी और लॉकडाउन के चलते उसे न तो फसल कटाई के लिये मशीनें और न ही मजदूर उपलब्ध हैं। ऐसे समय में सरकार के ये फैसले किसानों के लिए और ज्यादा परेशानी बढ़ाने वाले हैं।
उन्होंने सवाल उठाया कि बिना पंजीकरण वाले किसान कहां जाएंगे। क्या उनकी फसल खरीद नहीं होगी। वहीं आज के समय में किसानों के पास बहुत ही कम जगह रह गई है। किसान अपनी फसल का भंडारण कैसे कर पाएगा। इससे किसानों की फसल को नुकसान होने का खतरा भी मंडराता रहेगा। उन्होंने दावा किया कि इन फैसलों से किसानों को देरी से फसल का भुगतान होगा। जिन किसानों ने ऋण लिया हुआ है, उनके लिए मुश्किल होगी। ऐसे किसानों को अगली बुवाई के लिए ऋण नहीं मिल पाएगा। कई छोटे किसान आढ़तियों से ऋण लेकर फसल बुवाई करते हैं। यदि फसल का भुगतान देरी से मिलेगा तो इन्हें अगली फसल की बुवाई के लिए आढ़तियों से ऋण नहीं मिल पाएगा। इससे आढ़तियों और किसानों के सम्बंधों पर भी असर पड़ेगा।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि किसानों को पहले ही मशीन और मजदूर फसल कटाई के लिए नहीं मिल रहे। अब वे अपना समय भंडारण में लगाएंगे तो अगली फसल की बुवाई वह कब करेंगे। मजदूर कहां से आएंगे और किसानों को इसका भुगतान कौन करेगा। उसकी जो कटाई के तुरंत बाद फसल बुवाई होनी है, वह सीधे तौर पर प्रभावित होगी। इसके अलावा उसे भंडारण पर भी अतिरिक्त खर्च करना पड़ेगा। उसे इसके लिये बोरियां कहां से उपलब्ध होंगी।
कुमारी सैलजा ने राज्य सरकार से अपना फैसला वापिस लेने, बारिश और ओलावृष्टि से बर्बाद फसलों का 15 अप्रैल से पहले सभी किसानों को मुआवजा देने, तुरंत प्रभाव से कम्बाईन मशीन और मजदूर उपलब्ध कराने, किसान क्रेडिट कार्ड की सीमा बढ़ाने, किसान उत्पादों को जीएसटी से बाहर लाने, अगली बुवाई के लिए बीज और कीटनाशक कम दर पर मुहैया कराने, फसल कटाई में मजदूरों को मनरेगा के तहत भुगतान करने की मांग की।
रमेश1545वार्ता