प्योंगटाक, 17 जून (वार्ता) पावरलिफ्टर अशोक ने शुक्रवार को अपना पहला अंतरराष्ट्रीय पदक जीतते हुए 2022 विश्व पैरा पावरलिफ्टिंग एशिया-ओशियानिया ओपन चैम्पियनशिप में दो स्वर्ण और दो कांस्य पदक हासिल किये।
अशोक ने तीनों राउंड में बार क्लियर करते हुए 150 किग्रा, 168 किग्रा और 173 किग्रा भार उठाया और कुल 491 किग्रा स्कोर किया, जो पुरुषों के 65 किग्रा से कम में स्वर्ण पदक (कुल स्कोर) लेने के लिए पर्याप्त था। उन्होंने कुल स्कोर की ओपन और एशियाई श्रेणियों में स्वर्ण पदक जीते।
व्यक्तिगत स्पर्धा में, हरियाणा के पावरलिफ्टर ने चीन के यी जोउ (196 किग्रा) और ईरान के अमीर जाफरी अरंगे (195 किग्रा) के बाद 173 किग्रा के अपने सर्वश्रेष्ठ भारोत्तोलन के साथ कांस्य पदक जीता। जौ और अरंगे ने कुल स्कोर प्रतियोगिता में क्रमशः 390 और 382 कुल स्कोर के साथ रजत और कांस्य पदक हासिल किया।
अशोक ने अपने प्रदर्शन के आधार पर हांग्जो 2022 एशियाई पैरा खेलों में जगह बनाई। उनके पेरिस 2024 पैरालंपिक खेलों में पहुंचने की संभावना भी है।
33 वर्षीय अशोक ने अपनी पिछली दो स्पर्धाओं में खराब प्रदर्शन का जिक्र करते हुए कहा, “यह मेरे लिए गर्व का क्षण है। मैंने पदकों के लिए इंतजार किया है और कड़ी मेहनत की है। प्रतियोगिता में आते हुए मैं थोड़ा घबराया हुआ था क्योंकि पिछली दो चैंपियनशिप में मेरे अच्छे परिणाम नहीं आए थे। इसलिए हमने सिर्फ 150 किग्रा के साथ शुरुआत करने और वजन बढ़ाने का फैसला किया। अपने प्रशिक्षण में मैंने 190 किग्रा भार उठाने में कामयाबी हासिल की है। मुझे उम्मीद है कि मैं एशियाई पैरा खेलों में अपने लिए एक बेहतर रिकॉर्ड हासिल कर सकता हूं।”
जॉबी मैथ्यू ने गुरुवार को प्योंगटेक 2022 चैंपियनशिप में पुरुषों के अंडर 59 किग्रा इवेंट में मास्टर्स ओपन और एशियाई श्रेणियों में भारत के लिए पहला स्वर्ण पदक जीता था। मैथ्यू ने सर्वश्रेष्ठ लिफ्ट श्रेणी (ओपन और एशियाई) में 148 किग्रा के अपने प्रयासों के साथ दो स्वर्ण पदक हासिल किये, जबकि ओपन और एशियाई दोनों श्रेणियों में 288 किग्रा के कुल स्कोर के साथ अन्य दो स्वर्ण पदक जीते।
अशोक की तरह मैथ्यू ने भी अपने प्रयास से हांग्जो 2022 एशियाई पैरा खेलों के लिए क्वालीफाई किया।
इससे पहले, भारत के दिग्गज पावरलिफ्टर फ़रमान बाशा ने दो साल बाद वापसी करते हुए एशिया-ओसनिया विश्व पैरा पावरलिफ्टिंग ओपन चैम्पियनशिप में गुरुवार को दो रजत पदक जीते थे।
शादाब
वार्ता