राज्य » राजस्थानPosted at: Oct 2 2019 8:26PM एशिया की दूसरी सबसे बड़ी जयसमंद झील छलकी
उदयपुर 02 अक्टूबर (वार्ता) राजस्थान के उदयपुर जिले में स्थित एशिया की दूसरी सबसे बड़ी मीठे पानी की जयसमन्द झील लबालब होकर बुधवार को छलक गई है।
31 मीटर भराव क्षमता वाली जयसमंद झील का पानी हाथी के पैर को छू गया है। वर्ष 2017 के बाद दो साल बाद यह झील छलकी है। वर्ष 1973 से अब तक यह छठा मौका है जब यह झील छलकी है।
यह झील वर्ष 1973 के बाद यह 21 साल बाद 1994 में छलकी थी। इसके बाद 12 साल बाद 2006 और इसके बाद दस वर्ष बाद 2016 में छलकी थी। इसके बाद दो वर्ष पहले यह 2017 में छलकी थी।
जिला मुख्यालय से 60 किमी की दूरी पर स्थित जयसमंद झील का निर्माण तत्कालीन महाराणा जयसिंह द्वारा 1711 से 1720 ईसवी के मध्य कराया था। चौदह हजार 400 मीटर लंबाई एवं नौ हजार 500 मीटर चौडाई में निर्मित यह कृत्रिम झील एशिया की सबसे बड़ी मीठे पानी का स्वरूप मानी जाती है। दो पहाडि़यों के बीच में गोमती नदी पर स्थित इस झील में नौ नदियां और 99 नाले गिरते हैं। जयसमन्द झील का मुल नाम ढेबर है और महाराणा जयसिंह के नाम पर इसे जयसमन्द कहा जाने लगा। जयसमन्द में पानी की आवक के लिए गौतमी एवं झामरी नदी और वगुरवा नाला प्रमुख हैं।
स्थापत्य कला की दृष्टि से बनी यह झील अपने आप में आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। झील की तरफ़ के बाँध पर कुछ-कुछ दूरी पर बनी छह खूबसूरत छतरियाँ पर्यटकों का मन मोह लेती हैं। गुम्बदाकार छतरियाँ पानी की तरफ़ उतरते हुए बनी हैं। इन छतरियों के सामने नीचे की ओर तीन-तीन बेदियाँ बनाई गई हैं। सबसे नीचे की बेदियों पर सूंड़ को ऊपर किए खड़ी मुद्रा में पत्थर की कारीगरी पूर्ण कलात्मक मध्यम कद के छह हाथियों की प्रतिमा बनाई गई है। यहीं पर बाँध के सबसे उँचे वाले स्थान पर महाराणा जयसिंह द्वारा भगवान शिव को सर्मपित नर्मदेश्वर महादेव का कलात्मक मंदिर भी बनाया गया है।
रामसिंह
वार्ता