रायपुर 03 जनवरी(वार्ता)छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जंगलों में फलदार प्रजातियों के वृक्ष और पौधे से समृद्ध करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि इससे जहां वनवासियों की आय बढ़ सकेंगी वहीं वहां रहने वाले पशु पक्षियों की आवश्यकताएं पूरी होगी।
श्री बघेल ने आज यहां वन आधारित जलवायु सक्षम आजीविका की दिशा में क्रांतिकारी बदलाव‘ विषय पर आयोजित एक दिवसीय परिचर्चा को संबोधित करते हुए कहा कि जंगलों को बचाने के लिए वनवासियों से ज्यादा पढ़े लिखे लोगों की जिम्मेदारी है। राज्य सरकार का फोकस इस बात पर होना चाहिए कि वनवासियों का जीवन कैसे सुखमय बन सके। जंगलों को बचाने के साथ-साथ वनवासियों की आय कैसे बढ़ाई जा सके इस पर ध्यान देना होगा।
उन्होने कहा कि आज प्रदेश के ऐसे जिलों में जहां जंगल ज्यादा है,वहां सिंचाई का प्रतिशत शून्य से लेकर 5 प्रतिशत तक है। सिंचाई की सुविधा नहीं होने से यदि बारिश नहीं होती है तो फसल तो बर्बाद होती है,साथ ही वहां जल स्तर भी कम होता है। यदि फरवरी माह में हम नगरी क्षेत्र के जंगलों में जाते हैं तो अधिकांश वृक्षों के पत्ते झड़ जाते हैं इसका सबसे बड़ा कारण जंगलों में गिरता जल स्तर है। उन्होंने कहा कि जंगली क्षेत्रों के विकास के लिए वन अधिनियम और पर्यावरण अधिनियम के क्रियान्वयन के प्रति हमें व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाना होगा।
श्री बघेल ने कहा कि जल स्तर को स्थिर करने के लिए जल संरक्षण के कार्य भी करना होगा, इसमें राज्य सरकार का नरवा प्रोजेक्ट काफी सहायक हो सकता है। इस प्रोजेक्ट में नदी नालों को वैज्ञानिक तरीके से चार्ज किया जाएगा। जिसमें सेटेलाइट के माध्यम से उपलब्ध नक्शों का उपयोग किया जाएगा। उन्होने कहा कि आज राज्य सरकार आदिवासियों और वनवासियों को उनके अधिकार देने के लिए तत्पर है, एनजीओ को भी इस कार्य में राज्य सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकार सहयोग करना चाहिए।
साहू
वार्ता