नई दिल्ली 07 अप्रैल (वार्ता) नियमित स्क्रीनिंग के माध्यम से 50 प्रतिशत से अधिक कैंसर को आसानी से रोका जा सकता है।
विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर, राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एवं रिसर्च सेंटर (आरजीसीआईआरसी), के विशेषज्ञों ने कैंसर और उसे रोकने के लिए नियमित जांच की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाने की बात पर जोर दिया है। प्रति वर्ष कैंसर से लाखों मौतों की रोकथाम के प्रति शिक्षा के माध्यम से लोगों के बीच जागरूकता बहुत जरूरी है।
आरजीसीआईआरसी के चेयर मेडिकल ओंकोलॉजी तथा ब्रेस्ट एवं सार्कोमा सर्विसेज के प्रमुख डॉ. डी. सी. डोवल ने कहा, ‘‘स्तन कैंसर को लेकर लोगों में जानकारी की कमी है। लोग अक्सर दूसरों के अनुभव का अनुसरण करते हैं, लेकिन उन्हें समझना चाहिए कि हर स्तन कैंसर अपने आप में दूसरे से अलग होता है और इसीलिए उसका इलाज, कारण एवं परिणाम भी अलग होता है। उन्होंने कहा कि, स्तन कैंसर का जल्दी पता चलने पर नई टेक्नोलॉजी की मदद से इलाज के बाद स्तन सुरक्षित रखना संभव हो पाता है।’’ डॉ. डोवल ने कहा कि, ‘‘हाल के वर्षों में, बहुत सारी प्रगति हुई है। पारंपरिक कीमोथेरेपी को अन्य थेरेपी जैसे एंडोक्राइन थेरेपी, टोर्गेटेड थेरेपी या इम्यूनोथेरेपी के साथ पूरक किया जा रहा है। डॉ. डोवल ने कहा कि स्तन कैंसर का प्रबंधन मल्टी मॉडल उपचार का सही उदाहरण है और स्तन कैंसर के प्रत्येक मामले में व्यक्तिगत और विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है।’’
आरजीसीआईआरसी के सीनियर कंसल्टेंट एवं चीफ ऑफ ब्रेस्ट सर्विसेज डॉ. राजीव कुमार ने कहा कि, ‘‘कोविड महामारी के कारण कैंसर के इलाज पर बुरा प्रभाव पड़ा है और इस कारण से कैंसर के एडवांस्ड स्टेज में पहुंचने का खतरा बढ़ गया है। पहले हम स्तन कैंसर के करीब 70 प्रतिशत मामले शुरुआती स्टेज पर पता लगाने में सक्षम थे, लेकिन लॉकडाउन के बाद से लोगों ने जांच बंद कर दी है और अब करीब 50 प्रतिशत केस एडवांस्ड स्टेज में ही पकड़ में आते हैं। निसंदेह कोविड से जुड़ी सावधानियां बरतना जरूरी है, लेकिन किसी को भी कैंसर के इलाज में कोताही नहीं बरतनी चाहिए, क्योंकि यह जानलेवा हो सकता है।’’
आरजीसीआईआरसी के कंसल्टेंट, मेडिकल ऑन्कोलॉजी डॉ मनीष शर्मा ने बताया कि, “कैंसर का ईलाज सम्भव है यदि इसका जल्दी पता चल जाये और जल्द से जल्द निदान करते हुए उचित उपचार लिया जाए। नियमित स्क्रिनिंग से कैंसर के कई मामलों का पता प्रारंभिक अवस्था में लगाया जा सकता है। महिलाओं में, आधे से अधिक कैंसर गर्भाशय ग्रीवा और स्तन कैंसर के होते हैं और मैमोग्राफी एवं पीएपी स्मीयर परीक्षणों के माध्यम से प्रारंभिक अवस्था में स्क्रीनिंग करके इन दोनों कैंसर का आसानी से पता लगाया जा सकता है। जल्दी पता चलने की स्थिति में 90 फीसदी कैंसर ठीक हो सकते हैं। इसी तरह, पुरुषों के मामले में, सबसे आम कैंसर फेफड़े और मौखिक कैंसर हैं।’’
शेखर
वार्ता