नयी दिल्ली, 26 मार्च (वार्ता) अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले के एक पक्षकार ‘निर्मोही अखाड़ा’ ने मध्यस्थता संबंधी आदेश में संशोधन का उच्चतम न्यायालय से अनुरोध किया है।
निर्मोही अखाड़ा की मांग है कि मध्यस्थता पैनल में शीर्ष अदालत के दो और सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को शामिल किया जाये, ताकि मध्यस्थता अत्यधिक तटस्थ हो सके। याचिकाकर्ता ने मध्यस्थता फैजाबाद की बजाय दिल्ली में किये जाने का अनुरोध भी किया है।
निर्मोही अखाड़ा ने अपनी अर्जी में कहा है कि मध्यस्थता के लिए इतने पक्षकारों को आमंत्रित करने की जरूरत नहीं है। इस मामले को अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड के बीच ही बातचीत के जरिये सुलझाया जा सकता है।
याचिकाकर्ता का दावा है कि रामलला और हिंदुओं की भावनाओं को लेकर सुन्नी वक्फ बोर्ड से वह बातचीत करने में सक्षम है।
इससे पहले गत आठ मार्च को इस विवाद को शीर्ष अदालत ने मध्यस्थता के लिए भेज दिया था। मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति एस. ए. बोबड़े, न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर की संविधान पीठ ने फैसला सुनाते हुए शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश एफ. एम. आई. कलीफुल्ला की अध्यक्षता में आध्यात्मिक नेता श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू की समिति गठित की थी।