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भारतीय सिनेमा जगत के युगपुरूष थे बी आर चोपड़ा

भारतीय सिनेमा जगत के युगपुरूष थे बी आर चोपड़ा

..पुण्यतिथि 05 नवंबर के अवसर पर ..

मुंबई 04 नवंबर (वार्ता) भारतीय सिनेमा जगत में बी.आर.चोपड़ा को एक ऐसे फिल्मकार के रूप में याद किया जायेगा जिन्होंने पारिवारिक. सामाजिक और साफ सुथरी फिल्में बनाकर लगभग पांच दशक तक सिने प्रेमियों के दिल में अपनी खास पहचान बनायी।

पंजाब के लुधियाना शहर में 22 अप्रैल 1914 को जन्में बी.आर चोपड़ा उर्फ बलदेव राय चोपड़ा बचपन के दिनों से ही फिल्म में काम कर शोहरत की बुलंदियों पर पहुंचना चाहते थे। बी.आर.चोपड़ा ने अंग्रेजी साहित्य में अपनी स्नातकोत्तर की शिक्षा लाहौर के मशहूर गवर्नमेंट कालेज में पूरी की। बी.आर.चोपड़ा ने अपने करियर की शुरूआत बतौर फिल्म पत्रकार के रूप में की। फिल्मी पत्रिका ‘सिने हेराल्ड’ में वह फिल्मों की समीक्षा लिखा करते थे। वर्ष 1949 में फिल्म ‘करवट’ से उन्होंने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कदम रखा लेकिन दुर्भाग्य से यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह असफल हो गयी।

वर्ष 1951 में अशोक कुमार अभिनीत फिल्म ‘अफसाना’ को बी.आर.चोपड़ा ने निर्देशित किया। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अपनी सिल्वर जुबली:25 सप्ताह:पूरी की। इस फिल्म की सफलता के बाद बी.आर.चोपड़ा फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में सफल हो गये। वर्ष 1955 मे बी.आर.चोपडा ने ..बी.आर.फिल्मस ..बैनर का निर्माण किया। बी.आर.फिल्मस के बैनर तले उन्होंने सबसे पहले फिल्म ‘नया दौर’ का निर्माण किया। फिल्म नया दौर के माध्यम से बी.आर. चोपड़ा ने आधुनिक युग और ग्रामीण संस्कृति के बीच टकराव को रूपहले पर्दे पर पेश किया जो दर्शकों को काफी पसंद आया। फिल्म ‘नया दौर’ ने सफलता के नये कीर्तिमान स्थापित किये।

बी.आर.चोपडा के बैनर तले निर्मित फिल्मों पर यदि एक नजर डाली जाये डाले तो उनकी निर्मित फिल्में समाज को संदेश देने वाली होती थीं। बी.आर.चोपड़ा अपने दर्शको को हर बार कुछ नया देना चाहते थे। इसी को देखते हुये वर्ष 1960 में उन्होंने कानून जैसी प्रयोगात्मक फिल्म का निर्माण किया। यह फिल्म इंडस्ट्री में एक नया प्रयोग था जब फिल्म का निर्माण बगैर गानों के भी किया गया। अपने भाई और जाने माने निर्माता निर्देशक यश चोपड़ा को शोहरत की बुलंदियों पर पहुंचाने में बी.आर.चोपडा का अहम योगदान रहा है। धूल का फूल, वक्त और इत्तेफाक जैसी फिल्मों की सफलता के बाद ही यश चोपड़ा फिल्म इंडस्ट्री में निर्देशक के रूप में स्थापित हुये थे।

       सुप्रसिद्ध गायिका आशा भोंसले को कामयाबी के शिखर पर निर्माता..निर्देशक बी.आर.चोपड़ा की फिल्मों का अहम योगदान रहा है। पचास के दशक में जब आशा भोंसले को केवल बी और सी ग्रेड की फिल्मों मे ही गाने का मौका मिला करता था। बी.आर.चोपड़ा ने आशा भोंसले की प्रतिभा को पहचाना और अपनी फिल्म ‘नया दौर’ में गाने का मौका दिया। यह फिल्म आशा भोंसले के सिने कैरियर की पहली सुपरहिट फिल्म साबित हुई। इस फिल्म में मोहम्मद रफी और आशा भोंसले के गाये युगल गीत बहुत लोकप्रिय हुये जिनमें ..मांग के साथ तुम्हारा.. ..उड़े जब जब जुल्फें तेरी..गीत शामिल हैं।

फिल्म ‘नया दौर’ की कामयाबी के बाद हीं आशा को अपना सही मुकाम हासिल हुआ। इसके बाद बी.आर. चोपड़ा ने आशा को अपनी कई फिल्मों में गाने का मौका दिया। इन फिल्मों में वक्त .गुमराह हमराज ,आदमी और इंसान और धुंध प्रमुख हैं। आशा भोंसले के अलावा पार्श्वगायक महेन्द्र कपूर को भी हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित करनें में बी. आर. चोपडा की अहम भूमिका रही।

अस्सी के दशक में स्वास्थ्य खराब रहने के कारण बी.आर.चोपड़ा ने फिल्म का निर्माण करना कुछ कम कर दिया1 वर्ष 1985 में बी.आर .चोपड़ा ने दर्शकों की नब्ज पहचानते हुये छोटे पर्दे की ओर भी रूख कर लिया ।

दूरदर्शन के इतिहास में अब तक सबसे कामयाब सीरियल ‘महाभारत’ के निर्माण का श्रेय भी बी.आर. चोपड़ा को हीं जाता है । लगभग 96 प्रतिशत दर्शकों तक पहुंचने के साथ हीं इस सीरियल ने अपना नाम ‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड’ में भी दर्ज कराया।

चोपड़ा को मिले सम्मान पर यदि नजर डाले वर्ष तो वह 1998 में हिन्दी सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के अवार्ड से सम्मानित किये गये। इसके अलावा वर्ष 1960 में प्रदर्शित फिल्म ‘कानून’ के लिये वह सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किये गये। बहुमुखी प्रतिभा के धनी चोपड़ा ने फिल्म निर्माण के अलावा बागवान और बाबुल की कहानी भी लिखी। अपनी निर्मित फिल्मों से दर्शको के बीच खास पहचान बनाने वाले फिल्मकार चोपड़ा 05 नवंबर 2008 को इस दुनिया को अलविदा कह गये ।

वार्ता

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