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संत से सांसद बने बाबा बालकनाथ

संत से सांसद बने बाबा बालकनाथ

अलवर 02 जून (वार्ता) नाथ सम्प्रदाय के आठवें मुख्य महंत बाबा बालकनाथ ने एक संत के रुप में प्रसिद्धि पाने के साथ राजनीति में भी अपनी पहचान बनाई और वह राजस्थान के अलवर संसदीय क्षेत्र से सांसद का चुनाव लड़कर पहले प्रयास में ही लोकसभा पहुंचने में सफल रहे।

बाबा बालकनाथ का जन्म अलवर जिले के बहरोड़ तहसील के कोहराना गांव में 16 अप्रैल 1984 को एक किसान परिवार में हुआ। उनके पिता सुभाष यादव नीमराना के बाबा खेतानाथ आश्रम में सेवा करते थे और बालकनाथ का जन्म गुरुवार को होने के कारण महंत खेतानाथ ने उनका नाम गुरुमुख रखा था। बाद में बाबा बालकनाथ को संत बनने के लिए छह वर्ष की उम्र में ही उन्हें आश्रम के महंत सोमनाथ को सौंप दिया गया। सोमनाथ ने छह महीने बाद ही गुरुमुख को हरियाणा के अस्थल बोहर रोहतक आश्रम में महंत बाबा चांदनाथ के पास भेज दिया गया। गुरुमुख की चंचलता के कारण उन्हें बालकनाथ के नाम से पुकारा जाने लगा और उनका नाम बालकनाथ पड़ गया।

महंत चांदनाथ ने 29 जुलाई, 2016 को बालकनाथ को उनके उत्तराधिकारी के रूप में घोषित किया था, इस अवसर पर आयोजित समारोह में योगी आदित्यनाथ और बाबा रामदेव भी मौजूद थे। अलवर से सांसद रहे महंत चांदनाथ का 17 सितंबर 2018 को निधन हो गया था। वह रोहतक में बाबा मस्त नाथ विश्वविद्यालय के चांसलर भी है।

बाबा चांदनाथ के निधन के बाद अलवर संसदीय क्षेत्र में हुए लोकसभा उपचुनाव में भाजपा को यह सीट कांग्रेस के सामने खोनी पड़ी थी। लेकिन सत्रहवीं लोकसभा चुनाव में भाजपा ने चांदनाथ के उत्तराधिकारी बाबा बालकनाथ को चुनाव मैदान में उतारकर कांग्रेस से यह सीट फिर छीन ली। बाबा बालकनाथ ने कांग्रेस उम्मीदवार पूर्व केन्द्रीय मंत्री भंवर जितेन्द्र सिंह को तीन लाख 29 हजार 971 मतों से हराया। बाबा बालकनाथ को सात लाख 60 हजार 201 तथा श्री सिंह को चार लाख 30 हजार 230 मत मिले।

चुनाव जीतने के बाद बाबा बालकनाथ ने कहा कि अलवर की जनता ने ऐतिहासिक परिणाम देते हुए उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी है और इसे इससे ज्यादा निभाना है। वह विकास के लिए हमेशा तत्पर रहेंगे।

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