नयी दिल्ली, 28 अगस्त (वार्ता) उच्चतम न्यायालय में अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद की बुधवार को हुई 14वें दिन की सुनवाई के दौरान जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति ने तीन किताबों के हवाले से यह स्थापित करने का प्रयास किया कि बाबर ने बाबरी मस्जिद नहीं बनवायी थी।
समिति की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पी एन मिश्रा ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नज़ीर की संविधान पीठ के समक्ष तीन किताबों का ज़िक्र करते हुए कहा कि ‘आईने अकबरी’ और ‘हुमायूंनामा’ में बाबर द्वारा बाबरी मस्जिद बनाये जाने का कोई उल्लेख नहीं है। इतना ही नहीं ‘तुर्क-ए-जहांगीरी’ किताब में भी बाबरी मस्जिद के बारे में कोई जिक्र नहीं हैं।
श्री मिश्रा ने कहा कि बाबर सिर्फ इस बात से वाकिफ़ था कि ज़मीन वक़्फ़ की है। उन्होंने इतालवी निकोलो मनूची द्वारा लिखी किताब का भी जिक्र किया, जो औरंगज़ेब का कमांडर था। इस पर संविधान पीठ ने पूछा कि औरंगज़ेब का कमांडर इतालवी था? श्री मिश्रा ने कहा, “हां, औरंगज़ेब का कमांडर इतालवी था।”
श्री मिश्रा ने कल से पुनरुद्धार समिति का पक्ष रखना शुरू किया था। निर्मोही अखाड़ा की जिरह पूरी होने के बाद समिति को अपना पक्ष रखने की अनुमति मिली थी।
श्री मिश्रा ने अपनी बहस शुरू करते हुए कल कहा था कि जैसे मक्का और मदीना को शिफ्ट नहीं किया जा सकता, वैसे ही राम जन्मभूमि को भी शिफ्ट नहीं किया जा सकता। समिति का कहना था कि राम जन्मभूमि से 85 स्तंभ मिले थे जिनमें से 84 को विक्रमादित्य ने स्थापित किया था और एक गरुड़ स्तंभ था।
संविधान पीठ अयोध्या के विवादित जमीन को तीन बराबर हिस्से में बांटने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ कई अपीलों की सुनवाई कर रही है।
सुरेश.श्रवण
वार्ता