नयी दिल्ली, 18 सितम्बर (वार्ता) राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने पहलवान बजरंग पुनिया ने उन्हें देश के सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न के लिए नजरअंदाज किये जाने पर गहरी नाराजगी जताई है जबकि एशियाई खेलों की फ्रीस्टाइल टीम के कोच सुजीत मान द्रोणाचार्य अवार्ड के लिए नजरअंदाज होने पर खासे भड़के हुए हैं।
बजरंग और सुजीत मान की उपेक्षा होने से कुश्ती जगत में खासा रोष है और गुरु हनुमान अखाड़े के संचालक तथा द्रोणाचार्य अवार्डी महासिंह राव ने भी इन फैसलों पर हैरानी जताई है। महासिंह राव ने कहा कि पिछले तीन ओलम्पिक में कुश्ती एकमात्र ऐसा खेल है जिसमें लगातार पदक आये हैं और 2020 के ओलम्पिक के लिए कुश्ती ही पदक की सबसे बड़ी उम्मीद है। उन्होंने कहा कि ऐसे खेल को खेल रत्न और द्रोणाचार्य न मिलना हैरानी पैदा करता है।
बेंगलुरु में ट्रेनिंग कर रहे बजरंग को जैसे ही यह खबर मिली कि क्रिकेट कप्तान विराट कोहली और महिला भारोत्तोलक मीराबाई चानू के नाम की खेल रत्न के लिए सिफारिश की गयी है, उनका गुस्सा फूट पड़ा।
भारत को 18 वें एशियाई खेलों में पहला स्वर्ण पदक दिलाने वाले बजरंग ने कहा,“आखिर किस आधार पर यह पुरस्कार दिया जा रहा है, क्या मेरी उपलब्धियां किसी खिलाड़ी से कम हैं मुझे क्यों नजरअंदाज किया गया है यह बात मेरी समझ से बाहर है।”
बजरंग ने कहा कि वह उनके साथ हुए इस अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे। ओलम्पिक पदक विजेता योगेश्वर दत्त के शिष्य बजरंग ने कहा,“मैं अपनी लड़ाई लडूंगा और खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के सामने अपना पक्ष रखूंगा। मैं 19 की रात को दिल्ली लौटूंगा और 20 को खेल मंत्री से मुलाकात करूंगा।”