खेलPosted at: Jul 1 2019 6:03PM चोटों और रिप्लेस्मेंट पर बीसीसीआई सवालों के घेरे में
बर्मिंघम, 01 जुलाई (वार्ता) विश्वकप टीम में चोटिल खिलाड़ियों की चोटों को लेकर भ्रम की स्थिति और ऐसे खिलाड़ियों की जगह शामिल किये जाने वाले विकल्पों को लेकर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की नीति सवालों के घेरे में आ गयी है।
इस विश्वकप में अब तक भारत के दो खिलाड़ी चोटिल होकर टूर्नामेंट से बाहर हो चुके हैं। बायें हाथ के ओपनर शिखर धवन हाथ के अंगूठे में चोट के कारण और ऑलराउंडर विजय शंकर पैर के अंगूठे में चोट के कारण विश्वकप से बाहर हुये हैं।
दोनों ही खिलाड़ियों की चोटों को लेकर भ्रम की स्थिति बराबर बनी रही। शिखर को हाथ के अंगूठे में हेयरलाइन फ्रैक्चर था लेकिन टीम प्रबंधन ने उनपर फैसला लेने में करीब 15 दिन का समय लगा दिया। टीम प्रबंधन यही उम्मीद करता रहा कि शिखर ठीक हो जाएंगे जबकि आमतौर पर किसी भी फ्रैक्चर को ठीक होने में कम से कम एक महीने का समय लगता है।
टीम प्रबंधन को आखिर शिखर को बाहर करने का फैसला करना पड़ा। शिखर की जगह मध्यक्रम के बल्लेबाज़ रिषभ पंत को वैकल्पिक खिलाड़ियों में से टीम में लाया गया। शिखर के बाहर होने से लोकेश राहुल को ओपनिंग में भेजा गया। अब ऑलराउंडर विजय शंकर के बाहर होने के बाद टीम प्रबंधन में शीर्ष क्रम के बल्लेबाज़ को टीम में शामिल करने का आग्रह किया है जिसके बाद ओपनर मयंक अग्रवाल को शंकर की जगह लेने इंग्लैंड भेजा जाएगा।
यह दिलचस्प है कि शंकर के पैर के अंगूठे में 19 जून को नेट अभ्यास के दौरान जसप्रीत बुमराह की यार्कर से चोट लगी थी और उनपर फैसला लेने में टीम प्रबंधन ने करीब 13 दिन का समय लगा दिया। यह हैरानी की बात है कि टीम के साथ जुड़े ट्रेनर यह साफ नहीं कर पाये कि शंकर की चोट कितने समय में ठीक होगी।
बीसीसीआई ने अब विज्ञप्ति जारी कर बताया है कि शंकर की चोट को ठीक होने में कम से कम तीन सप्ताह का समय लगेगा जिससे वह शेष टूर्नामेंट के लिये बाहर हो गये हैं।