काठमांडू 30 अगस्त (वार्ता) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अाज कहा कि बिम्स्टेक के सदस्य देशों के बीच केवल राजनयिक संबंध ही नहीं हैं बल्कि ये संस्कृति तथा सभ्यता के अटूट बंधनों से बंधे हैं और इसी परंपरा पर आगे बढ़ते हुए उन्हें एक - दूसरे के प्रयासों का पूरक बनना होगा क्योंकि परस्पर जुड़ी दुनिया में कोई भी देश अकेले विकास, शांति और समृद्धि हासिल नहीं कर सकता।
श्री मोदी ने यहां चौथे बिम्स्टेक सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में अपनी आरंभिक टिप्पणी में कहा, “ इस क्षेत्र के सभी देशों के साथ भारत के सिर्फ़ राजनयिक संबंध नहीं हैं। हम सभी देश सदियों से सभ्यता, इतिहास, कला, भाषा, खान-पान और हमारे साझा संस्कृति के अटूट बंधनों से जुड़े हुए हैं। हमें एक साथ चलना है। हम सभी विकासशील देश हैं और शांति, समृद्धि और खुशहाली हमारी प्राथमिकता है लेकिन आज की परस्पर जुड़ी दुनिया में यह अकेले हासिल नहीं किया जा सकता। हमें एक-दूसरे के साथ चलना है, एक-दूसरे का सहारा बनना है, एक-दूसरे के प्रयासों का पूरक बनना है। मैं मानता हूँ कि सबसे बड़ा अवसर है। ”
उन्होंने कहा कि बिम्स्टेक क्षेत्र के एक ओर महान हिमालय पर्वत श्रंखला है और दूसरी ओर हिन्द और प्रशांत महासागरों के बीच स्थित बंगाल की खाड़ी। बंगाल की खाड़ी का सभी के विकास, सुरक्षा और प्रगति के लिए विशेष महत्व रखता है। भारत की विदेश नीति के दो महत्वपूर्ण कार्यक्रमों ‘नेबरहुड फर्स्ट’ और ‘एक्ट ईस्ट’ संगम इसी बंगाल की खाड़ी के क्षेत्र में होता है जिसका उद्देश्य समूचे क्षेत्र का चहुमुखी विकास करना है।
श्री मोदी ने कहा कि संपर्क को व्यापक दायरे में देखा जाना चाहिए और इसमें व्यापार, आर्थिक, यातायात और डिजिटल संपर्क के साथ-साथ, लोगों के बीच संपर्क सभी का ध्येय होना चाहिए। इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि बिम्स्टेक तटीय नौवहन समझौते और बिम्स्टेक मोटर यान समझौते को अमली जामा पहनाये जाने की जरूरत है। बिम्स्टेक देशों के बीच विकास, शांति और समृद्धि के प्रति वचनबद्धता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि भारत बिम्स्टेक को मजबूत क्षेत्रीय समूह बनाने के लिए ‘भारत बिम्स्टेक स्टाई अप सम्मिट ’आयोजित करने को तैयार है। नालंदा विश्वविद्यालय में बिम्स्टेक देशों के छात्रों के लिए 30 छात्रवृतियों की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत विभिन्न विषयों में अल्पावधिक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम शुरू करने पर भी काम करेगा।
संजीव.श्रवण
जारी वार्ता