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अल्पसंख्यक होने के कारण मुझे निशाना बनाया गया: मुश्ताक अहमद

अल्पसंख्यक होने के कारण मुझे निशाना बनाया गया: मुश्ताक अहमद

नयी दिल्ली, 14 जुलाई (वार्ता) कार्यकाल को लेकर उठे विवाद और केंद्रीय खेल मंत्रालय की आपत्ति के कारण हॉकी इंडिया के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा देने वाले मुश्ताक मोहम्मद अहमद ने आरोप लगाया है कि उन्हें अल्पसंख्यक समुदाय का होने के कारण निशाना बनाया गया और अध्यक्ष पद छोड़ने के लिए मजबूर किया गया।

मुश्ताक अहमद ने गत 10 जुलाई को हॉकी इंडिया के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दिया था और हॉकी इंडिया ने एक बयान जारी कर कहा था कि मुश्ताक अहमद ने निजी और पारिवारिक कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफ़ा दिया है। लेकिन उसके चार दिनों के बाद ही उन्होंने केंद्रीय खेल मंत्रालय को लिखे पांच पेजों के पत्र में खेल मंत्रालय के फैसले पर सवाल उठाते हुए जवाब मांगे और साथ ही कहा कि खेल मंत्रालय ने उन्हें जानबूझकर निशाना बनाया और उन्हें दंडित किया क्योंकि उनका नाम मोहम्मद मुश्ताक अहमद है।

उन्होंने पत्र के आखिर में कहा, “मैं अपने निष्कर्ष में कहना चाहता हूं कि मुझे खेल मंत्रालय ने जानबूझकर दंडित किया क्योंकि मेरा नाम मुहम्मद मुश्ताक अहमद है और मैं अल्पसंख्यक समुदाय से हूं जबकि कुछ अन्य खेल महासंघों के अध्यक्ष जैसे सुधांशु मित्तल (भाजपा के एक बड़े नेता) और राजीव मेहता (मित्तल से सरंक्षण प्राप्त) को कुछ नहीं कहा गया। आपके नजरिये से जैसे मैंने राष्ट्रीय खेल संहिता का उल्लंघन किया है तो उसी नजरिये से इन अध्यक्षों ने भी खेल संहिता का उल्लंघन किया है। मैं जानना चाहता हूं कि राष्ट्रीय खेल संहिता के पालन में समानता क्यों नहीं है और मेरे साथ यह भेदभाव क्यों किया गया है।”


उल्लेखनीय है कि केंद्रीय खेल मंत्रालय ने मुश्ताक अहमद के हॉकी इंडिया के अध्यक्ष के रूप में चुनाव को राष्ट्रीय खेल संहिता के कार्यकाल संबंधी दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करार देते हुए उनसे पद छोड़ने के लिये कहा था। खेल मंत्रालय ने पाया था कि 2018 में हुए चुनावों में मुश्ताक अहमद ने कार्यकाल संबंधी दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया था। इन चुनावों के बाद ही उन्होंने अध्यक्ष पद संभाला था।

हॉकी इंडिया के महासचिव राजिंदर सिंह को छह जुलाई को लिखे पत्र में मंत्रालय ने कहा था कि मामले की जांच की गई और यह पाया गया कि मुश्ताक अहमद 2010 से 2014 तक हॉकी इंडिया में कोषाध्यक्ष और 2014 से 2018 तक महासचिव थे। अध्यक्ष के तौर पर 2018 से 2022 के बीच उनका हॉकी इंडिया के पदाधिकारी के तौर पर लगातार तीसरा कार्यकाल था। 

मंत्रालय ने कहा था कि उनका चुनाव राष्ट्रीय खेल महासंघों के पदाधिकारियों के लिये उम्र और कार्यकाल के सरकार के दिशा निर्देशों के अनुरूप नहीं था। खेल संहिता के तहत किसी राष्ट्रीय खेल महासंघ के पदाधिकारी लगातार दो बार ही पद पर रह सकते हैं। बाद में संशोधन के बाद केवल अध्यक्ष के लिये तीन कार्यकाल मान्य किये गए हैं।

मुश्ताक अहमद ने कहा कि सुधांशु मित्तल, राजीव मेहता और आनंदेश्वर पांडेय को क्रमशः खो-खो, तलवारबाजी और हैंडबॉल को चलाने की खुली छूट दी गयी है जबकि उन्होंने भी खेल संहिता का खुला उल्लंघन किया है। उन्होंने कहा कि लगता है कि उनका नाम मुश्ताक अहमद होना ही एक परेशानी बन गया है। 

उन्होंने आरोप लगाया कि खेल मंत्रालय ने इन खेल महासंघों से आंखें मूंद रखी हैं क्योंकि इनके खेल मंत्रालय के अधिकारियों के साथ नजदीकी संबंध हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि खो-खो और तलवारबाजी महासंघों के खिलाफ शिकायत होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गयी है। 

मुश्ताक ने आरोप लगाया कि राजीव मेहता का तलवारबाजी महासंघ के अध्यक्ष के रूप में चुनाव अवैध था क्योंकि खो-खो महासंघ का अध्यक्ष होने के नाते वह किसी और खेल महासंघ के अध्यक्ष नहीं बन सकते। उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों खेल महासंघों के पदाधिकारी खेल मंत्रालय के अधिकारियों और स्टाफ के सहयोग से अवैध रूप से महासंघों को चला रहे हैं और सरकार को चूना लगा रहे हैं। 

उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों महासंघों के अध्यक्ष बयान देते हैं कि उनके खेल मंत्रालय में ऊपर से नीचे तक संबंध हैं। मुश्ताक ने आरोप लगाया कि एक अध्यक्ष का यहां तक कहना है कि वह एक राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी के प्रतिनिधि के रूप में पूर्वोत्तर राज्यों का प्रभारी है इसलिए कोई उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है क्योंकि केंद्रीय खेल मंत्री भी पूर्वोत्तर से हैं। 

मुश्ताक ने मंत्रालय को ध्यान दिलाया कि एक अक्टूबर 2018 को हुए हॉकी इंडिया के चुनाव से पहले मंत्रालय ने चार सितम्बर 2018 के अपने पत्र में साफ़ कहा था कि प्रस्तावित चुनाव 13 अक्टूबर 2014 को हुए चुनाव के बाद दूसरा चुनाव होगा। 

उन्होंने कहा, “यदि मंत्रालय ने उस समय सही तस्वीर पेश की होती तो मुझे यह शर्मिंदगी नहीं झेलनी पड़ती जो मैं आज झेल रहा हूं। मुझ पर कभी कोई आरोप नहीं लगा और मैंने पूरे दिल से खेल की सेवा की लेकिन मैं उस गलती की सजा भुगत रहा हूं जो मैंने की ही नहीं। खेल मंत्रालय ने मेरे साथ यह खेल क्यों खेला।” 

मुश्ताक ने कहा, “हॉकी इंडिया ने खेल मंत्रालय के 13 फरवरी 2019 के पत्र का जवाब 23 फरवरी 2019 को दे दिया था लेकिन खेल मंत्रालय ने इस मामले में फैसला लेने में 15 महीने का समय क्यों लगाया और हॉकी इंडिया से मुझे इस्तीफ़ा देने के लिए कहा जो मैंने एक दिन में ही कर दिया। मैं मंत्रालय से इस मामले में जवाब चाहता हूं।” 

उन्होंने पत्र में कहा, “मैं अपनी अन्तर्रात्मा से कहता हूं कि मैंने कुछ भी गलत नहीं किया। यदि मुझे मंत्रालय से उचित जवाब नहीं मिलता है तो मुझे प्रधानमंत्री सहित सभी उचित मंचों पर अपनी बात उठाने की अनुमति दी जाए। मैं यह पत्र मीडिया में भी भेज रहा हूं ताकि सभी को पता चल सके कि मंत्रालय ने मेरे साथ कितना गलत किया है।” 

राज

वार्ता

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