फीचर्सPosted at: Feb 18 2016 2:46PM बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान बडी उपलब्धि
नयी दिल्ली 01 जनवरी (वार्ता) महिला सुरक्षा और बाल कल्याण की योजनाओं के बजट में कटौती के आरोप झेलते हुए सरकार बीते वर्ष में बाल न्याय विधेयक पारित कराने, पुलिस बल में महिलाओं को 33 प्रतिशत और स्थानीय स्तर पर विशेष महिला पुलिस कार्यकर्ता नियुक्त कराने में कामयाब हुई और उसने बेटी बचाओ बेटी पढाओ जैसा व्यापक अभियान शुरू किया। निर्भया कांड के दोषी किशोर की रिहाई से उपजे जन आक्रोश के बीच संसद ने वर्ष 2015 के अंत में बाल न्याय(देखभाल एवं संरक्षण) विधेयक 2015 पारित कर दिया। यह विधयेक लंबे समय से राज्यसभा में लटका हुअा था। इसमें जघन्य अपराधों में शामिल 16 वर्ष से अधिक आयु के किशाेरों को वयस्कों के समान सजा देने का प्रावधान किया गया है। इस विधेयक के पारित होने को महिलाओं के खिलाफ हिंसा से निपटने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना गया है। सरकार ने बढ़ते लैंगिक अनुपात की गंभीरता को समझते हुए बीते वर्ष जनवरी में हरियाणा के सोनीपत में बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान शुरु किया। इसका उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इसका उद्देश्य भ्रूण हत्या को रोकना और बेटियों को सम्मान देते हुए उन्हें योग्य बनाना है। यह योजना एक साथ उन 100 जिलों में लागू की गयी , जहां पुरूषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या सबसे कम है। इस वर्ष सरकार पर महिला और बाल विकास की योजनाओं के आवंटन में कटौती के आरोप लगे। ऐसा कहा जाता रहा कि संबंधित योजनाओं का व्यय 50 प्रतिशत तक घटाया गया है। हालांकि सरकार का दावा है कि ये योजनाएं राज्य सरकारों के अधीन कर दी गयी है और इनके लिए आवंटन राज्यों को किया गया है। सरकार पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए गठित निर्भया कोष का पूरा इस्तेमाल नहीं करने के आरोप भी लगे।