गोरखपुर 26 जनवरी (वार्ता) राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के सर संघचालक मोहन भागवत ने राष्ट्रध्वज तिरंगा की व्याख्या करते हुए इसे राष्ट्र के विकास, समृद्धि और पवित्रता का प्रतीक बताया।
श्री भागवत ने सरस्वती शिशु मंदिर माध्यमिक विद्यालय सुभाषनगर में ध्वजारोहण करने के बाद कहा कि तिरंगा में केसरिया रंग ज्ञान का प्रतीक है और तेज, विज्ञान, सकारात्मक चिंतन वाले राष्ट्र की पहचान कराता है।
संघ प्रमुख ने सफेद रंग की चर्चा करते हुए कहा कि यह शृद्धा और शांति का प्रतीक है। रावण महाज्ञानी होते हुए भी उसका मन मैला था। धनवान होते ही में मद चढ जाता है। उन्होंने नानाजी देशमुख का स्मरण करते हुए कहा कि वे अपने लिए कभी नहीं जिये। सदैव उनका जीवन समाज के दबे, कुचले, वंचित के लिए समर्पित रहा। ऐसे ही देश चलता है और विश्व में उसकी अलग पहचान होती है।
श्री भागवत ने तिरंगे के हरे रंग की चर्चा करते हुए कहा कि यह लक्ष्मी और समृद्धि का प्रतीक है। मेहनत से ही देश का वैभव बनता है। यह देश त्यागी देश है और जब आप इसे समृध्दि बनायेंगे तो यह देश विश्व की सेवा करेगा।
उन्होंने कहा कि तिरंगे के मध्य चक्र ‘धर्म चक्र’ है जो पूजा का एक अंग है यह सबको एक करता है। डा भीमराव अम्बेडकर के दर्शन की चर्चा करते हुए कहा कि उनके अनुशासन और संविधान की मूल भावना का अनुसरण करते हुए आगे चलने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि स्वयं में परिवर्तन करना भी गणतंत्र की मूल भावना है।
उदय प्रदीप
जारी वार्ता