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ललित नारायण मिश्रा विश्वविद्यालय के नैनो विज्ञान एवं तकनीकी के उच्च अनुसंधान केन्द्र के निदेशक प्रो. प्रेम मोहन मिश्रा ने कहा कि एक मिलीमीटर के दस लाखवें भाग को नैनो मीटर कहा जाता है। जिस पदार्थ का एक भी आयाम नैनोमीटर आकार का है उसे नैनो पदार्थ कहते हैं। उन्होंने कहा कि नैनो पदार्थां ने मानव के क्रियाकलापों को काफी प्रभावित किया है। जल का शुद्धिकरण, लक्षित दवा वितरण, श्रृंगार प्रसाधन, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण (जैसे मोबाईल, टीवी, कम्प्युटर) का आकार छोटा होता जा रहा है। साथ ही उनकी उपयोगिता बढ़ती जा रही हैं। नैनो तकनीक के क्षेत्र में विज्ञान के छात्रों के लिए कैरियर बनाने के लिए बहुत ही सुनहरा मौका।
एम. एल. एस. एम काॅलेज के प्रधानाचार्य ने कहा कि भारतीय परम्पराओं मे नैनो पदार्थों का उपयोग प्राचीन काल से हो रहा है। भांग एवं मसानों काे पीसना एवं काजल का उपयोग सभी नैनो क्रिया के उदाहरण हैं। उन्होंने बताया कि टीशू कल्चर के बाद अब नैनो विज्ञान में औषधियों के विकास की काफी संभावनाएं हैं। उन्होने छात्रों को नैनो विज्ञान के क्षेत्र मे गहन अध्ययन करने की सलाह दी।
कॉलेज के स्नातकोत्तर रसायन विज्ञान विभाग के प्रो. रतन कुमार चौधरी ने सूचना दी कि नैनो विज्ञान के महत्व को देखते हुए स्नातकोत्तर रसायन विज्ञान के नवीन पाठ्यक्रम में इसको शामिल कर दिया गया है।
सं सूरज रमेश
वार्ता
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