Friday, Apr 19 2024 | Time 04:37 Hrs(IST)
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राज्य » बिहार / झारखण्ड


हरिहर क्षेत्र को ऋषियों और मुनियों ने प्रयाग और गया से भी श्रेष्ठ तीर्थ माना है। ऐसा कहा जाता है कि इस संगम की धारा में स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के पाप कट जाते हैं। यहां हाथी, घोड़े, गाय, बैल,चिड़ियों के अलावा सभी प्रकार के आधुनिक सामान, कंबल, दरी, कई प्रकार के खिलौने और लकड़ी के सामान भी बिकने आते हैं। मेले में कई सारी चीजें जैसे कपड़े, गहने, बर्तन, खिलौने की दुकानें सजती हैं। कुछ लोग मेले में करतब और खेल दिखा कर भी मेले में आए लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
इस मेले को लेकर अनेक किंवदंतियां प्रचलित हैं। पुराणों के अनुसार, भगवान विष्णु के दो भक्त जय और विजय शापित होकर हाथी (गज) और मगरमच्छ (ग्राह) के रूप में धरती पर उत्पन्न हुए थे। एक दिन कोनहारा के तट पर जब गज पानी पीने आया तो ग्राह ने उसे पकड़ लिया था। फिर गज ग्राह से छुटकारा पाने के लिए कई दिनों तक लड़ता रहा। तब गज ने बड़े ही मार्मिक भाव से हरि यानी विष्णु को याद किया।
गज की प्रार्थना सुनकर कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु उपस्थित हुये और सुदर्शन चक्र चलाकर उसे ग्राह से मुक्त करया और गज की जान बचाई। इस मौके पर सारे देवताओं ने यहां उपस्थित होकर जय-जयकार की थी लेकिन आज तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि गज और ग्राह में कौन विजयी हुआ और कौन हारा। इसी के पास कोनहरा घाट में पौराणिक कथा के अनुसार, गज और ग्राह का कई दिनों तक चलने वाला युद्ध हुआ था। बाद में भगवान विष्णु की सहायता से गज की विजय हुई थी।
प्रेम सूरज
जारी वार्ता
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