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राज्य » बिहार / झारखण्ड


श्री टंडन ने कहा कि विश्व में अनेक ऐसे देश हैं, जिनकी अर्थव्यवस्था भारत की ही तरह कृषि पर निर्भर है। ब्राजील एक ऐसा देश है, जहां की अर्थव्यवस्था में गोपालन का काफी योगदान है। देश में और विशेषकर बिहार में जहां की भूमि उपजाऊ है, किसान परिश्रमी हैं और प्राकृतिक संसाधनों की प्रचूरता है। ऐसे में यहां समेकित कृषि का विकास अवश्यंभावी है। उन्होंने कहा कि यदि कृषि क्षेत्र में आधारभूत संरचना को समुचित रूप से विकसित कर दिया जाये तथा सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से इस क्षेत्र में ज्ञान संपदा के आदान-प्रदान की व्यवस्था सुदृढ़ कर दिया जाये तो निश्चय ही बिहार में कृषि आर्थिक समृद्धि का एक प्रमुख कारक बन जायेगी।
राज्यपाल ने कहा कि कृषि विकास के प्रति सजगता एवं अभिरुचि पैदा करने के उद्देश्य से राजभवन परिसर में अगले वर्ष फरवरी-मार्च में फल-फूल एवं सब्जियों की ‘कृषि प्रदर्शनी’ आयोजित कराने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इसमें ग्रामीण कृषकों एवं सभी कृषि-विश्वविद्यालयों की पूरी सहभागिता प्राप्त हो सकेगी तथा राजभवन की इस पहल से किसान उत्साहित और प्रेरित भी होंगे। उन्होंने कहा कि बिहार में समेकित कृषि विकास के लिए काफी सार्थक प्रयास किये गये हैं। वर्ष 2017 से ‘तृृतीय कृषि रोड मैप’ लागू किया गया है। इसके माध्यम से पशु एवं मत्स्य संसाधन के विकास के जरिये ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ किया जा रहा है।
श्री टंडन ने कहा कि पशु विज्ञान के क्षेत्र में नित नयी खोजें हो रही हैं। बिहार में पशुआें के भ्रूण-प्रत्यारोपण विधि विस्तार जैसे नये तकनीक के उपयोग से पशुपालन के क्षेत्र में गायों के नस्ल सुधार के प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि ‘राष्ट्रीय गोकुल मिशन’ के तहत बिहार के बक्सर के डुमरांव में देश का अठारहवां एवं राज्य का पहला ‘गोकुल ग्राम’ बनेगा। इस योजना के तहत संगठित एवं वैज्ञानिक ढंग से स्वदेशी नस्लों के संरक्षण एवं संवर्द्धन में सहायता मिलेगी। इससे बिहार में पशुपालन के विकास में तेजी आयेगी।
सूरज उमेश
जारी (वार्ता)
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