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और सुविधायें मिली तो बिहार की खेल प्रतिभायें भी नाम करेंगी रौशन : श्रेयसी

और सुविधायें मिली तो बिहार की खेल प्रतिभायें भी नाम करेंगी रौशन : श्रेयसी

पटना 11 मार्च (वार्ता) अंतराष्ट्रीय शूटर और अर्जुन पुरस्कार विजेता श्रेयसी सिंह ने कहा कि बिहार में प्रतिभाओं की कमी नही है और यदि उन्हें सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए तो वे वैश्विक स्तर पर राज्य का नाम रौशन कर सकती हैं।

      पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं बांका के पूर्व सांसद दिग्विजय सिंह तथा पूर्व सांसद पुतुल सिंह की पुत्री श्रेयसी सिंह ने कहा कि बिहार में प्रतिभाओं की कमी नही है, जहां तक शूटिंग या अन्य खेल की बात है तो बिहार में इंफ्रास्ट्रकचर की कमी होने के कारण यहां की प्रतिभायें बाहर निकल कर आगे नही आ पाती है। मैंने इसके लिये बिहार सरकार से कई बार खेल के क्षेत्र में इंफ्रास्टकचर विकसित किये जाने की मांग की है। इंफ्रास्ट्रकचर विकसित किये जाने से लोगों के बीच खेल के प्रति जागरूकता आयेगी।

      बिहार के जमुई जिले के गिद्धौर की रहने वाली श्रेयसी सिंह ने बताया कि आज भी समाज में यह धारणा कायम है कि स्पोटर्स करियर नही है। इसे बदलने की जरूरत है। यदि बिहार में इंफ्रास्टकचर विकसित किया जाये और यहां ज्यादा से ज्यादा खेल मैदान बनाये जाएं, अंतर्राष्ट्रीय स्तर के वैन्यू बनाये जायें, जहां कोच आकर लोगों को प्रशिक्षण दें तो निश्चित रूप से यहां की प्रतिभायें आगे आ सकती है। नालंदा में अच्छी शूटिंग रेंज बनायी गयी है। वैसे मॉडल और बनाये जाने की जरूरत है। शूटिंग ही नहीं हर खेल को उतना ही पॉजिटिव सपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर मिलने की आवश्यकता है।

      श्रेयसी ने बिहार की बेटियों को भी आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है। उन्होंने कहा कि यदि कोई बेटी आगे बढ़ने के लिए उनकी मदद चाहती है तो वह उन्हें सहयोग करेंगी।


     श्रेयसी सिंह आज अपने करियर में खास पहचान बना चुकी है लेकिन इन कामयाबियों को पाने के लिये उन्हें कठिन परिश्रम भी करना पड़ा है। श्रेयसी ने बताया कि सफल एथलीट बनने के लिये बहुत परिश्रम की जरूरत है। शूटिंग एक ऐसा खेल है, जहां पहली शूटिंग गन खरीदने के लिए परमिट की जरूरत होती है। उन्होंने जब अपने करियर की शुरूआत की थी तो उस समय उनके पिता राष्ट्रीय राइफल महासंघ (एनआईएआई) के अध्यक्ष थे। उन्होंने साफ कहा था, “मुझे परिवार से सहयोग तो मिलेगा लेकिन प्रशासनिक स्तर पर वैसी कोई मदद नहीं मिलेगी, जो अन्य खिलाड़ियों को नही मिल रही है। शूटिंग बहुत खर्चीला खेल है और इसके लिये आपको गन खरीदने की जरूरत होती है। मैने करियर के दौरान अपने कई सीनियर खिलाड़ियों से बंदूक मांगी और उससे अभ्यास किया।“

      श्रेयसी ने बताया कि शूटिंग उन्हें विरासत में मिली है। उनके दादा कुमार सुरेंद्र सिंह और पिता को शूटिंग का बहुत शौक था और वह दोनों शूटिंग एनआईएआई के अध्यक्ष रह चुके हैं। इसलिए, वह हमेशा निशानेबाजी की प्रतियोगिताओं और निशानेबाजों से घिरी रहती थी। हालांकि दादा और पिता के निशानेबाजी से जुड़े रहने के बावजूद उन्हें कोई खास सहूलियत नहीं रही। उन्हें भी अन्य खिलाड़ियों की तरह कड़े प्रशिक्षण से गुजरना पड़ा है। उनके लिए वही सख्त कानून रखे गए, जो सभी के लिए होते हैं। उन्हें परिवार से अनुशासित जिंदगी जीने की सीख मिली है। वह कुशल और तीक्ष्ण बनने के लिए निरंतर मेहनत कर रही हैं। निशानेबाजी में एकाग्रता बेहद अहम भूमिका निभाती है।

श्रेयसी ने बताया कि वह दादा और पिता को ही अपना हीरो मानती हैं। उनके पिता ने ही उन्हें निशानेबाजी में शुरुआती दिनों में प्रशिक्षण दिया। वह बचपन से ही इस खेल से किसी न किसी तरह जुड़ी रही हैं। श्रेयसी ने बताया कि उनके दादा सुरेंद्र सिंह और पिता दिग्विजय सिंह ने उनके लिए काफी सपने देखे थे। उनके दादा का सपना था कि उनके परिवार से कोई इस खेल में महारथ हासिल करे, जिसे वह बखूबी पूरा कर रही हैं। उन्होंने कहा, “मैं सिर्फ मेरे दादा जी और पिताजी की ओर से मेरे लिए देखे गए सपनों को पूरा करने की कोशिश कर रही हूं और यही करती रहूंगी। वे चाहते थे कि मैं देश की श्रेष्ठ निशानेबाज बनूं और मैं इसी प्रयास में लगी हूं।“श्रेयसी ने बताया कि वह राजवर्धन सिंह राठौर को भी अपना आर्दश मानती है। उन्होंने अपनी पहली ट्रेनिंग उनके अंडर ही हासिल की थी।


     श्रेयसी सिंह की नजर अब ओलिंपिक गेम्स पर है। ओलिंपिक की शूटिंग स्पर्धा में देश के लिए स्वर्ण पदक जीतना उनका लक्ष्य है, जिसे वह पूरा करने के लिए तैयारी कर रही हैं। उन्होंने कहा कि ओलंपिक में पदक पाने का सपना है। वह अपने सपने का साकार करने के लिए जमकर मेहनत कर रही हैं।श्रेयसी ने बताया कि आज उन्होने जो मुकाम हासिल किया है इसमें उनके पिता की अहम भूमिका रही। उनके जाने के बाद मां ने पिता की कमी महसूस नहीं होने दी और साए की तरह साथ रहकर इस मुकाम तक पहुंचाया। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय कोच, मां को दिया। उन्होंने कहा कि उनकी मां ने तमाम परेशानियों के बाद भी हमेशा सपोर्ट किया, जिसकी वजह से वह कामयाब हो पाई हैं।

      श्रेयसी सिंह ने वर्ष 2020 में होने वाले ओलपिंक में भारत के बेहतर प्रदर्शन करने की उम्मीद जतायी है। उन्होंने कहा कि 2016 की तुलना में हमारे पास अच्छे खिलाड़ियों की टीम है। बैंडमिटन ,शूटिंग ,रेसिलिंग बॉक्सिग में हमारे पास अच्छे खिलाड़ी है और उम्मीद है कि इस बार हम ओलपिंक पदक जीत सकते हैं। केंद्र और बिहार सरकार की ओर से खिलाड़ियों को काफी सपोर्ट मिल रहा है। वर्ष 2000 से वर्ष 2016 का ओलपिंक ग्राफ देखे तो खिलाड़ियों का प्रदर्शन बेहतर रहा है, हां यह बात सही है कि वर्ष 2016 में शूटिंग में ओलपिंक में हमने उतने पदक नही जीते जितने हमने 2004 से लेकर 2012 तक जीते थे। महिलाये ओलपिंक में अच्छा कर रही हैं। साक्षी मल्लिक ,पी वी सिंधू और साइना नेहवाल ने ओलंपिक में मेडल जीता है।

      श्रेयसी सिंह के पिता तथा उनकी मां राजनीत से जुड़ी हुयी है। राजनीति में जाने संबंधी सवाल के जवाब में श्रेयसी ने कहा कि यह निर्णय उनका नही होगा। यह निर्णय बिहार के लोगों का होगा। यदि वह चाहते हैं कि वह उनका प्रतिनिधित्व करें लेकिन अभी उनका लक्ष्य सिर्फ ओलपिंक का है। वह चाहती हैं कि न सिर्फ ओलपिंक में प्रतिनिधित्व करें बल्कि ओलपिंक में मेडल जीतकर भी लाएं और यह अवार्ड बिहार की जनता को समर्पित होगा।

      श्रेयसी सिंह को पोषण, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता से संबंधित जन-जागरुकता लाने के लिए पोषण अभियान योजना के तहत समाज कल्याण विभाग ने सद्भावना दूत (ब्रांड एंबेसडर) बनाया है।श्रेयसी सिंह ने कहा कि बिहार कुपोषित क्षेत्रो में आता है।मेरी कोशिश होगी कि बिहार कुपोषण मुक्त बने। बिहार में कई गरीब परिवारों को पर्याप्त खाना नहीं मिलता है। भोजन को पोषण से जोड़कर भी देखने की जरूरत है। स्वच्छता की ओर भी ध्यान देना होगा। बच्चे के जीवन के प्रारंभिक एक हजार दिन सबसे महत्वपूर्ण होते है, हम उस पर प्रमुखता से काम करूंगी।उन्होंने बताया कि इस दिशा में उन्होंने कदम बढ़ाते हुये जमुई और बांका का दौरा किया है।

प्रेम सूरज

वार्ता

 

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