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पश्चिम निमाड़ में भाजपा को तीन सीटों का फायदा

पश्चिम निमाड़ में भाजपा को तीन सीटों का फायदा

बड़वानी/ खरगोन, 03 दिसम्बर (वार्ता) मध्यप्रदेश के पश्चिम निमाड़ के बड़वानी और खरगोन जिलों की 10 में से 6 सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा जमा लिया है। हालांकि पिछली बार के मुकाबले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को इस क्षेत्र से तीन सीटों की बढ़त मिली है।

इस क्षेत्र से कैबिनेट मंत्री प्रेम सिंह पटेल, पूर्व मंत्री अंतर सिंह आर्य और विजयलक्ष्मी साधो चुनाव हार गये है। तीन सीटों पर बेहद करीबी मुकाबला रहा, लेकिन परिणाम कांग्रेस के पक्ष में गया। यहाँ कांग्रेस और भाजपा को छोड़ कर सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई।

बड़वानी जिले की अनुसूचित जनजाति की चार सीटों में कांग्रेस ने तीन पर और भाजपा ने एक सीट पर विजय प्राप्त की है। यहाँ वर्ष 2018 के चुनाव में भी यही स्थिति थी। कांग्रेस ने बड़वानी, राजपुर और सेंधवा की सीट जीती जबकि भाजपा के हिस्से में पानसेमल की सीट आई है। यहां 2018 में भाजपा ने केवल बड़वानी की सीट जीती थी।

खरगोन जिले में भाजपा और कांग्रेस ने तीन-तीन सीटें जीती हैं। यहाँ 2018 के चुनाव में भाजपा को एक भी सीट प्राप्त नहीं हुई थी। कांग्रेस ने 5 और निर्दलीय उम्मीदवार ने एक सीट जीती थी। इस तरह से भाजपा को जिले में तीन सीटों का फायदा हुआ है।

बड़वानी विधानसभा सीट इस बार वकील राजन मंडलोई ने पांच बार के विधायक एवं शिवराज सरकार में कैबिनेट मंत्री प्रेम सिंह पटेल को 11,172 वोटों से हराकर जीत ली है। यहां नोटा पर करीब 5000 वोट पड़े हैं। राजन मंडलोई ने शुरू से ही बढ़त बना ली, जो आखिर तक कायम रही। श्री मंडलोई ने कहा कि कार्यकर्ताओं की लगातार मेहनत और एकजुटता से उन्हें यह जीत मिली है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार नहीं बनी है, लेकिन वह क्षेत्र के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने का काम करेंगे।

राजपुर विधानसभा सीट पिछली बार की ही तरह उतार-चढ़ाव से भरी रही। लेकिन किस्मत ने फिर इस बार कमलनाथ के करीबी बाला बच्चन का साथ दिया और उन्होंने 890 वोट से जीत हासिल की। पिछली बार बाला बच्चन ने अंतर सिंह पटेल को 932 वोटों से हराया था। इस बार भी जीत का कम अंतर होने से रिकाउंटिंग की गई, लेकिन बाला बच्चन इसमें विजयी रहे। उन्होंने कहा कि वे जनता से जुड़े मुद्दे विधानसभा में उठाते रहेंगे और क्षेत्र का विकास करेंगे।

सेंधवा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी (जयस जिला अध्यक्ष) मोंटू सोलंकी उर्फ ग्रीष्म कुमार ने भाजपा के कई बार के विधायक एवं मंत्री अंतर सिंह आर्य को करीब 1400 वोटों से हराकर जीत ली। वर्ष 2018 में यहां से कांग्रेस के ग्यारसी लाल रावत ने अंतर सिंह आर्य को पराजित किया था। उन्होंने कहा कि जन समर्थन भी मिला और कार्यकर्ताओं ने भरपूर साथ दिया। मोंटू सोलंकी ने कहा कि वह प्लानिंग के साथ क्षेत्र का विकास करेंगे।

भाजपा ने जिले की एकमात्र सीट पानसेमल की जीती है। यहां श्याम बर्डे ने 2018 की कांग्रेस विधायक चंद्रभागा किराड़े को करीब 13442 वोटों से हराया है। श्री बर्डे पूर्व में शासकीय शिक्षक थे, लेकिन कुछ वर्ष पहले उन्होंने त्यागपत्र देकर राजनीति ज्वाइन की थी। अपनी जीत से उत्साहित श्री बर्डे ने कहा कि वह पिछले 5 वर्षों से रुके हुए विकास को भाजपा की सरकार की मदद से आगे बढ़ाएंगे।

खरगोन विधानसभा सीट भाजपा के बुजुर्ग नेता बालकृष्ण पाटीदार ने 2018 के विधायक रवि जोशी को 13,765 वोटों से हराकर जीत ली है। श्री पाटीदार यहां से तीसरी बार विधायक चुने गए हैं। वोटों के ध्रुवीकरण के अलावा श्री पाटीदार की कृषि क्षेत्र में विकास पुरुष की छवि के चलते उन्हें यहाँ से आसान जीत मिली। उन्होंने कहा कि यह जनता की ऐतिहासिक जीत है और इसमें केंद्र और राज्य सरकार की विकास योजनाओं के प्रति जनता का विश्वास झलक रहा है। उन्होंने कहा कि उनकी प्राथमिकता गरीबी हटाना है।

कसरावद सामान्य सीट से कांग्रेस के सचिन यादव ने भाजपा के आत्माराम पटेल को लगभग 5 हजार से मतों से हराकर जीत की हैट्रिक लगा ली। श्री यादव पहले काफी पीछे चल रहे थे, लेकिन आखिरी के कुछ राउंड में उन्होंने बढ़त को कम किया और आगे हो गए।

बड़वाह सीट पर भाजपा के सचिन बिरला ने कांग्रेस के नरेंद्र पटेल को 5,499 वोटों से पराजित कर दिया। श्री बिरला 2018 में कांग्रेस के टिकट पर यहां से चुनाव जीते थे, लेकिन बाद में वह भाजपा में शामिल हो गए थे। जीत के बाद उन्होंने कहा कि पूरे मध्यप्रदेश में शिवराज जी की लाडली बहना योजना की बड़ी भूमिका रही है। उधर पराजित उम्मीदवार श्री पटेल ने कहा कि आचार संहिता लगने के बाद लाडली बहना योजना की राशि जमा होने के चलते कांग्रेस को नुकसान हुआ।

महेश्वर अनुसूचित जाति सीट पर पांच बार की विधायक डॉक्टर विजयलक्ष्मी साधो को हार का सामना करना पड़ा है। उन्हें भाजपा के राजकुमार मेव ने 5919 वोटों से हराया। डॉ साधौ की शुरुआत अच्छी थी,लेकिन बाद में वह पिछड़ती गई।

भीकनगांव अनुसूचित जनजाति सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी झूमा सोलंकी ने फिर से जीत हासिल की है। उन्होंने भाजपा की नंदा ब्राह्मणे को बेहद कड़े मुकाबले में 603 वोटों के मामूली अंतर से पराजित किया। यहां भी रिकाउंटिंग की गई थी। वर्ष 2013 में भी झूमा सोलंकी ने नंदा ब्राह्मणे को 2200 वोटो के अंतर से हराया था।

भगवानपुरा अनुसूचित जनजाति क्षेत्र से केदार डाबर ने भाजपा के चंदर सिंह वास्कले को 12,167 वोटों के अंतर से हरा दिया। श्री डाबर ने यहां 2018 का चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लड़ा था, लेकिन वह इस बार कांग्रेस में शामिल हो गए थे। उन्होंने कहा कि शिक्षा स्वास्थ्य आवागमन के साधन और सिंचाई उनकी प्राथमिकता है।

सं विश्वकर्मा

वार्ता

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