लखनऊ 17 मई (वार्ता) कोरोना संकटकाल में प्रवासी श्रमिकों के प्रति हमदर्दी का इजहार करते हुये समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार घर लौट रहे प्रवासी मजदूरों के साथ बेगानो से व्यवहार कर रही है।
श्री यादव ने रविवार को कहा कि दतिया, झांसी, जालौन, कानपुर, गाजियाबाद, सहारनपुर की सीमाओं पर तबाही के शिकार श्रमिकों का कसूर क्या है। राज्य की सीमाओं पर क्या कोई विदेशी हमला होने वाला है। क्या अपने राज्य के कामगार विदेशी है। उन्नाव में सड़क जाम है। प्रशासन ने 10-10 किलोमीटर का जाम क्यों लगाया। इसका जवाब तो टीम-इलेवन को देना पड़ेगा। सिर पर सामान नदी को पार करते श्रमिकों का जत्था क्या यही उत्तर प्रदेश का परिचय है। ये सभी कितनी बेबसी के शिकार है। ऐसा तो बेगानों के साथ भी दुव्र्यवहार नहीं होता है।
उन्होने कहा कि सरकार का गरीब मजदूरों के प्रति ऐसा ही दुर्भावनापूर्ण और उपेक्षापूर्ण व्यवहार बना रहा तो भला किस पर विश्वास कर ये प्रवासी मजदूर काम पर वापस लौटेंगे। अमीरों की इस सरकार ने प्रदेश में प्रशासन की पंगुता से जैसी अफरातफरी मची है उससे साबित होता है कि ‘‘समाज में दूरी‘‘ पैदा करने वाली भाजपा का सारा ध्यान कोरोना नियंत्रण और गरीब को रोजी-रोटी की सुविधा देने पर नहीं अपनी चुनावी चालों पर है।
सपा अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा ने श्रमिकों-कामगारों और गरीबों को जितना अपमानित किया, वह दुखभरी अनन्त दास्तान है। इस पीड़ा और कश्ट को श्रमिक कभी भूल नहीं पायेगा। श्रमिकों पर दोहरी मार एक कोरोना और दूसरी भाजपा सरकार का आचरण। यह कैसी विडम्बना है कि आजाद भारत में लाचार श्रमिक और उनकी भूख साथ चलने को मजबूर है। यह स्थिति राष्ट्रीय त्रासदी से कम नहीं है।
उन्होने कहा कि देश का मजदूर और कामगार बेहद कठिन दौर से गुजर रहा है। 1947 के बाद भारत में ऐसी स्थिति कभी नहीं आयी। जिनसे न्याय की उम्मीद है वही सरकार अन्याय और असहनीय पीड़ा पहुंचा रही है। बे-सहारों पर लाठियां बरसाई जा रही है। यह घोर अमानवीय कृत्य है। लोकतंत्र के साथ भद्दा मजाक है।
प्रदीप
वार्ता