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भाजपा राजनीतिक लाभ के लिए धार्मिक भावनाओं का कर रही है शोषण: इल्तिजा

भाजपा राजनीतिक लाभ के लिए धार्मिक भावनाओं का कर रही है शोषण: इल्तिजा

श्रीनगर, 04 दिसंबर (वार्ता) पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) नेता इल्तिजा मुफ्ती ने अजमेर शरीफ दरगाह विवाद के बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर राजनीतिक लाभ के लिए धार्मिक भावनाओं का फायदा उठाने का आरोप लगाया।

सुश्री मुफ्ती ने यहां संवाददाताओं से कहा कि भाजपा मस्जिद के नीचे मंदिर की तलाश में नहीं है, बल्कि वे इस मुद्दे का इस्तेमाल ऐसे दावों की आड़ में अपना वोट बैंक जुटाने के लिए कर रही है। उन्होंने कहा , “वे (भाजपा) मस्जिद के नीचे मंदिर की तलाश में नहीं हैं, लेकिन उनका मानना ​​​​है कि मस्जिद के नीचे उन्हें अपना वोट बैंक मिलेगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि उनके बहुसंख्यक वोट बैंक में हिंदू, ज्यादातर कट्टरपंथी हिंदू शामिल हैं। वे यह दिखाकर उन्हें खुश करना और गुमराह करना चाहते हैं कि उन्होंने पहले ही मुसलमानों को सामाजिक और आर्थिक रूप से हाशिए पर धकेल दिया है और अब वे पूजा स्थलों को निशाना बना रहे हैं, जो पूरी तरह से गलत है।”

उन्होंने कहा , “देखो अब हमारे साथ क्या हो रहा है। हम खुदाई कर रहे हैं, क्या ये विकास का प्रतीक है? कश्मीर में आप रेलवे लाइन बनाने की बात करते हैं, लेकिन अन्य जगहों पर आप मुस्लिम बहुसंख्यकों की मस्जिदों को ध्वस्त करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। तो यह वह देश नहीं है जिसकी स्थापना महात्मा गांधी जी ने की थी। आज का भारत गांधी जी के भारत से ज्यादा गोडसे के भारत जैसा दिखता है।'

पीडीपी नेता ने दक्षिण कश्मीर में कृषि भूमि को काटने वाली प्रस्तावित रेलवे लाइन परियोजनाओं के बारे में भी चिंता जताई और इस बात पर जोर दिया कि कनेक्टिविटी आजीविका की कीमत पर नहीं आनी चाहिए। उन्होंने आजीविका और पर्यावरण दोनों पर इन परियोजनाओं के संभावित प्रतिकूल प्रभावों पर प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा कि दक्षिण कश्मीर में प्रस्तावित रेलवे लाइन बिजबेहरा, अवंतीपोरा और पुलवामा से होकर गुजरेगी, जो मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर क्षेत्र हैं।

उन्होंने कहा, “विकास लोगों की आजीविका की कीमत पर नहीं होना चाहिए। प्रस्तावित रेलवे लाइन मौजूदा बगीचों से होकर गुजरेगी, जो क्षेत्र में कई लोगों के लिए स्थायी आय का प्राथमिक स्रोत हैं। हम विकास के ख़िलाफ़ नहीं हैं, लेकिन हम ऐसे किसी भी विकास का विरोध करते हैं जो पारिस्थितिकी, पर्यावरण या स्थानीय आबादी की आजीविका की कीमत पर हो।”

सैनी अशोक

वार्ता

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