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भाजपा राष्ट्रीय कार्यसमिति ने वाजपेयी के निधन पर शोक जताया

भाजपा राष्ट्रीय कार्यसमिति ने वाजपेयी के निधन पर शोक जताया

नयी दिल्ली 08 सितंबर (वार्ता) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पूर्व प्रधानमंत्री और पार्टी के संस्थापक अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए आज कहा कि देश ने मूल्यनिष्ठ राजनीति के आधार पर सुशासन की अवधारणा को फलीभूत करनेवाला एक युगद्रष्टा खोया है।

भाजपा राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में श्री वाजपेयी के निधन पर शोक प्रस्ताव पारित किया जिसमें कहा गया, “भाजपा पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष और राष्ट्र के सर्वप्रिय नेता श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर गहरा शोक प्रकट करती है। अटल जी के निधन से हम सभी ने इस देश में मूल्यनिष्ठ राजनीति के आधार पर सुशासन की अवधारणा को फलीभूत करनेवाले एक युगद्रष्टा को खोया है।”

चार पृष्ठ के इस प्रस्ताव में कहा गया, “भाजपा की यह राष्ट्रीय कार्यसमिति दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी के प्रति अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए संकल्प करते हैं कि हम सभी उनके दिखाए मार्ग पर अथक चलते रहेंगे और देश में सुशासन और विकास की राजनीति को मजबूती के साथ आगे बढ़ाएंगे।”

प्रस्ताव में कहा गया कि स्वाधीन भारत के राजनीतिक इतिहास में अटलजी ने अपनी निष्ठा, और अपने आदर्शवादी सिद्धांतों पर अडिग रहते हुए परिश्रम की पराकाष्ठा तक जाकर एक ऐसा विश्वसनीय राजनीतिक विकल्प खड़ा किया, जो राजनीति के माध्यम से जन आकांक्षाओं की पूर्ति में सफल सिद्ध हुआ है। पार्टी के उदयकाल में उन्हें कई मोर्चों पर एक साथ संघर्ष करना पड़ा। अत्यंत प्रतिकूल परिस्थितियों में उन्होंने संघर्ष भरे अनेक दौर का सामना किया। राजनीतिक अस्पृश्यता, संसाधनों का अभाव, संगठन खड़ा करने और उसका विस्तार करने में अनगिनत बाधाओं से जूझते हुए उन्होंने पंडित दीन दयाल उपाध्याय के साथ कंधे से कंधा मिलाकर पार्टी को एक विशिष्ट पहचान दी।

प्रस्ताव में कहा गया कि अटलजी एक ही समय बौद्धिक और सांगठनिक, दोनों ही कार्यों को निर्बाध रूप से सहज भाव में करने वाले विरले नेताओ में से एक थे। उनका व्यक्तित्व बहु-आयामी था। एक प्रखर विचारक, प्रतिभाशाली कवि, सिद्धहस्त लेखक और पत्रकार, ओजस्वी वक़्ता और श्रेष्ठ सांसद होते हुए अटलजी जनप्रिय नेता एवं दूरदर्शी तथा शासन के सफल नेतृत्वकर्ता भी बने। उन्होंने राजनीति में विचारधारा के महत्व को और अधिक मजबूत किया।

प्रधानमंत्री के नाते उन्होंने लोकहितों के प्रति निष्ठा और संवेदनशीलता का परिचय दिया तथा विपक्ष में रहते हुए एक आदर्श विपक्षी नेता का उदाहरण भी बने। संसद में और संसद के बाहर भी उन्होंने अपनी कार्यशैली से राजनीति की गरिमा को बढ़ाया और लोकतंत्र के प्रति विश्वास को मज़बूत किया| देश में गठबंधन की राजनीति की सफलता उन्होंने स्थापित की और ‘गठबंधन धर्म’ का नया उदाहरण प्रस्तुत किया|

प्रस्ताव में श्री वाजपेयी के गुणों अनगिनत कार्याें एवं उपलब्धियों का उल्लेख किया गया और कहा गया कि अटलजी के निधन से सभी प्रदेशों ने एक शासन की नीतियों को समझाने वाला एक सच्चा मार्गदर्शक खोया है। उन्होंने शासन के नेतृत्वकर्ता और पार्टी नेता, दोनों भूमिकाओं को न केवल कुशलतापूर्वक निभाया बल्कि कुछ आदर्श भी स्थापित किए। उनके कार्य आज भी राष्ट्रीय राजनीति और शासन की कार्यपद्धति पर अपनी अमिट छाप की तरह हैं ।

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