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मंहगी बिजली के लिये कांग्रेस तथा अकाली दोनों बराबर जिम्मेदार

मंहगी बिजली के लिये कांग्रेस तथा अकाली दोनों बराबर जिम्मेदार

चंडीगढ़,01 जनवरी (वार्ता)पंजाब आम आदमी पार्टी (आप) ने कहा है कि सरकारी संरक्षण प्राप्त संगठित बिजली माफिया के हाथों राज्य के बिजली उपभोक्ताओं की हो रही लूट के लिये पिछली अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार और सत्ताधारी कांग्रेस सरकार बराबर की जिम्मेदार है ।

पार्टी के बिजली मोर्चे की कमान संभाल रहे विधायक मीत हेयर तथा मुख्य प्रवक्ता प्रो. बलजिन्दर कौर, एससी विंग के प्रधान मनजीत सिंह बिलासपुर ने आज यहां कहा कि यदि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह और पंजाब कांग्रेस के प्रधान सुनील जाखड़ के इरादे पंजाबियों और पंजाब हितैषी होते तो सत्ता संभालते ही पहले छह महीने में पावर काम (पीएसपीसीएल) और निजी थर्मल प्लांटों के साथ किए बिजली खरीद समझौते (पीपीएज) का पिछली बादल सरकार के दस सालों के वित्तीय लेने-देने का किसी भी भरोसेमंद संस्थान से निष्पक्ष और पारदर्शी आडिट करवा लिया होता,लेकिन ऐसा नहीं हुआ क्योंकि कैप्टन सरकार भी बादलों के पद चिह्नों पर चलती हुई उसी बिजली माफिया का हिस्सा बन गई। नतीजे के तौर पर आज आम घरेलू परिवार को प्रति यूनिट 9 रुपए बिजली मिल रही है।

आप नेताओं ने कहा कि सरकार और बिजली माफिया की लूट के विरुद्ध पार्टी के बिजली मोर्चे ने लोगों की लामबंदी करने में बड़ी भूमिका निभाई है, नतीजे के तौर पर आज महंगी बिजली का मुद्दा पंजाब का केंद्रीय मुद्दा बन गया है जिससे न केवल कैप्टन सरकार बल्कि सुखबीर सिंह बादल एंड कंपनी भी घबरा गई है। आम लोगों का ध्यान हटाने के लिए श्री बादल ने श्री मलूका से बयानबाज़ी करवानी शुरू कर दी है, ताकि महंगी बिजली और माफिया का मुद्दा सिकंदर सिंह मलूका और गुरप्रीत सिंह कांगड़ के रामपुरा फूल तक सिमट कर रह जाए,।

उन्होंने कहा कि श्री बादल अपने चहेते सिकन्दर सिंह मलूका पर गलत दांव लगा बैठे, क्योंकि बिजली मंत्री होते श्री मलूका पर भी ट्रांसफर्मर और मीटर माफिया काे संरक्षण देने आरोप है । उन्होंने कहा कि 2007 से लेकर 2019 तक बिजली मंत्री रहे सभी अकाली-कांग्रेसी मंत्रियों समेत निजी बिजली कंपनियों के साथ समझौते करने वाले सुखबीर सिंह बादल की समयबद्ध वित्तीय जांच हाईकोर्ट की निगरानी में कैग के उच्च आधिकारियों से करवाई जाये और उसके आधार पर ‘श्वेतपत्र जारी कर इकरारनामे रद्द किये जाएं।

उन्होंने कहा कि दिल्ली की अरविन्द केजरीवाल सरकार की तरह निजी बिजली कंपनियों पर नकेल कसी जाए।

शर्मा

वार्ता

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