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अलवर जिले में पशु पक्षियों की सेवा कर रहे भाई बहन लोगों के लिए बने प्रेरणा

अलवर जिले में पशु पक्षियों की सेवा कर रहे भाई बहन लोगों के लिए बने प्रेरणा

अलवर 17 अक्टूबर (वार्ता) राजस्थान के अलवर जिले के किशनगढ़बास क्षेत्र के भाकरी पावटा गांव के पशु पक्षियों की सेवा कर रहे भाई-बहन का जानवरों के प्रति समर्पण लोगों के लिए प्रेरणा बनता जा रहा है।

ये भाई-बहन पढ़ाई के साथ बेजुबान पशु पक्षियों का भी ख्याल रखते हैं। इसके लिए दोनों भाई बहन को जिला स्तर पर जिला कलेक्टर और वन विभाग की ओर से सम्मानित किया जा चुका है। भाकरी पावटा गांव के चौदह वर्षीय मोहित एवं उसकी दस वर्षीय बहन दिव्या के इस जज्बे को देखकर कहा जा सकता है कि मानवता की कोई उम्र नहीं होती और इसे देखकर अन्य लोगों में भी पशु पक्षियों के प्रति दया भाव जागृत होने लगा है।

दिव्या और मोहित का कहना हैं कि अपने लिए तो हर कोई जीता है पर बेजुबान जीवों के लिए कोई आगे आना नहीं चाहता। सरकार नेता भी गरीबों की बात करते हैं योजनाएं बनाते हैं पर बेजुबान पशु पक्षियों के लिए ना तो कोई योजना बनाई जाती है और ना ही कोई बात करता है।

पढ़ाई कर रहे मोहित एवं दिव्या बताते है कि बेजुबान पशु पक्षियों की सेवा करने की प्रेरणा उन्हें अपने पिता ज्योतिष आचार्य डॉ गौरी शंकर शर्मा एवं मां अंजना मिश्रा से मिली है। अंजना मिश्रा पूर्व पंचायत समिति सदस्य भी रही है। दो साल पहले 10 अक्टूबर 2019 को दोनों भाई बहन स्कूल बस का इंतजार कर रहे थे तब देखा कि चार-पांच कुत्ते एक मोर पर हमला कर रहे थे, दोनों भाई बहनों ने हौसला दिखाया और कुत्तों से मोर को छुड़वाकर अस्पताल पहुंचाया।

इस साहसिक कार्य के लिए जिला कलेक्टर ने दोनों भाई बहनों को सम्मानित किया। बच्चों के साहसिक कार्य को देखते हुए वन विभाग की ओर से भी दोनों बालकों का राज्य स्तर पर सम्मान कर हौसला बढ़ाया गया। ऐसे ही एक बार अवैध रुप से ले जाई जा रही करीब दस गायों को दोनों बालकों ने गौ तस्करों से मुक्त कराया और गौशाला पहुंचाया। दोनों बताते हैं कि वह अब तक 153 मोर, 206 नीलगाय और 500 से अधिक मिली लावारिस गायों का उपचार करवा चुके हैं।

बेजुबान पशु एवं राष्ट्रीय पक्षी मोर को बचाने के लिए मोहित और दिव्या गांव -गांव मे संकल्प दिलाकर दया का भाव जागृत कर रहे हैं।

उन्होंने मुख्यमंत्री और श्रम एवं रोजगार मंत्री को अलवर जिले के सरिस्का अभ्यारण में शिकार की घटनाओं के मद्देनजर पत्र भी लिखा है।

जैन जोरा

वार्ता

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