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बिजनेस


डॉ रानाडे ने कहा, “ जब तक भारत एचसीआई और एचडीआई दोनों में बेहतर प्रदर्शन करता रहेगा, यह प्रशंसनीय होगा। रैंकिंग में अपने गरीब पडोसियों से निचले पायदान पर होने पर हमें अपनी प्राथमिकताओं पर ध्यान देना चाहिये न कि इंडेक्स तैयार करने वालों के बारे में शिकायत करनी चाहिये।” उल्लेखनीय है कि एचसीआई में म्यांमार (107), बंगलादेश (106), नेपाल (102) और श्रीलंका (74) की रैंकिंग भारत से बेहतर है।
एचसीआई के लांच करने से पहले जारी जारी किये गये संयुक्त राष्ट्र के ह्युमैन डेवलपमेंट इंडेक्स (एचडीआई) 2018 में भारत 189 देशों की सूची में 130वें स्थान पर रहा था। यह सूचकांक 28 साल पुराना है। एचडीआई में भारत के प्रदर्शन में काबिलेतारीफ सुधार आया है। लेकिन, यूएनडीपी में ह्युमैन डेवलपमेंट रिपोर्ट ऑफिस के निदेशक सलीम जहां का कहना है कि एचडीआई के आंकड़े लोगों की जिंदगी के एक पहलू की कहानी कहते हैं। जैसे सिर्फ यह गिनती करना ही काफी नहीं है कि कितने बच्चे स्कूल जाते हैं बल्कि यह जानना भी जरूरी है कि क्या वे वास्तव में स्कूल में कुछ सीख रहे हैं।
एचसीआई इसी रिक्त स्थान की पूर्ति करने की कोशिश करता है। इस सूचकांक के संकेतक इस तरह तैयार किये गये हैं कि आज के समय में पैदा हुआ बच्चा जब 18 साल को होगा तो वह ह्युमैन कैपिटल के रूप में कितना प्रभावा होगा, यह पता किया जा सकता है। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य,भविष्य में उत्पादकता और आमदनी की संभावनाओं आदि की कसौटी पर सदस्य राष्ट्रों की स्थिति का आकलन किया गया है।
विश्व बैंक के मुताबिक लोगाें के कौशल विकास, स्वास्थ्य और शिक्षा पर जोर देकर देश अपने ह्युमैन कैपिटल को अधिक उत्पादक बना सकते हैं। ह्युमैन कैपिटल को विकास की कुंजी बताते हुये विश्व बैंक ने सदस्य राष्ट्रों से आग्रह किया कि वे अपने ह्युमैन कैपिटल के महत्व को समझते हुये इस मद में अधिक से अधिक निवेश करें। इस सूचकांक को जारी करने का लक्ष्य सिर्फ गरीबी उन्मूलन नहीं है बल्कि ह्युमैन कैपिटल के निर्माण के मद में निवेश को बढ़ावा देना भी है।
अर्चना
वार्ता
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