नयी दिल्ली ,08 जनवरी (वार्ता) भारतीय रेल को ऊर्जा मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए ब्रिटेन के साथ किये गये करार और भारत और फ्रांस के बीच छात्रों, शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं एवं कुशल पेशेवरों के आवागमन और स्वतंत्र गतिशीलता साझेदारी समझौते को आज केन्द्रीय मंत्रिमंडल की स्वीकृति मिल गयी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की यहां हुई बैठक में ये फैसले लिये गये। भारतीय रेलवे एवं ब्रिटेन सरकार के अंतर्राष्ट्रीय विकास विभाग के बीच ऊर्जा दक्षता के लिए समझौता ज्ञापन पर गत दो दिसंबर 2019 को हस्ताक्षए किए गये थे जबकि फ्रांस के साथ समझौते पर फ्रांस के राष्ट्रपति की भारत यात्रा के दौरान मार्च 2018 में हस्ताक्षर किए गए थे।
भारत एवं ब्रिटेन के बीच समझौते के अनुसार दोनों पक्ष भारतीय रेल को ऊर्जा दक्ष एवं इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रयासों में विस्तार पर सहमत हुए हैं। दोनों पक्ष भारतीय रेल के लिए ऊर्जा योजना जैसे सौर एवं पवन ऊर्जा क्षेत्र, ऊर्जा दक्षता के अन्य उपायों को अपनाने, ईंधन कुशलता हासिल करने, इलेक्ट्रिक वीकल चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने, बैटरी से संचालित शंटिंग लोकोमेटिव आदि पर सहमत हैं। दोनों पक्षों के बीच प्रशिक्षण कार्यक्रम, औद्योगिक दौरा, फील्ड दौरा या सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए हैं।
इस प्रयास का उद्देश्य ढांचागत सुधार को सहारा देना और इलेक्ट्रिसिटी ग्रिड से अक्षय ऊर्जा को जोड़ना है। इसका खास उद्देश्य पहले से अधिक सतत और समेकित आर्थिक वृद्धि, बेहतर ऊर्जा सुरक्षा और कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने का लक्ष्य हासिल करना है।
इसी तरह भारत और फ्रांस के बीच आवागमन और स्वतंत्र गतिशीलता साझेदारी समझौते में दोनों देशों के लोगों के बीच सीधा संपर्क बढ़ाना, छात्रों, शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं एवं कुशल पेशेवरों के आवागमन को प्रोत्साहन देना और अनियमित आवागमन एवं मानव तस्करी के मुद्दे पर सहयोग मजबूत करना शामिल है। यह समझौता शुरु में सात साल की अवधि के लिए वैध है। समझौते में स्वत: नवीनीकरण का प्रावधान और एक संयुक्त कार्य समूह के जरिए इस पर निगरानी रखने की व्यस्था है।
सचिन जितेन्द्र
वार्ता