नयी दिल्ली, 09 जुलाई (वार्ता) नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने उच्चतम न्यायालय में एक अर्जी दायर करके भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की सर्वोच्च परिषद तथा इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की संचालन परिषद से बाहर होने की अनुमति मांगी है।
सीएजी ने अपनी याचिका में शीर्ष अदालत से 18 जुलाई, 2016 के आदेश में संशोधन करने की गुहार लगायी है, जिसमें शीर्ष अदालत ने बीसीसीआई की सर्वोच्च परिषद और आईपीएल की संचालन परिषद में सीएजी के एक सदस्य को शामिल करने के न्यायमूर्ति आर एम लोढा की सिफारिश पर अपनी मोहर लगायी थी।
सीएजी ने कहा है कि न्यायालय अपने आदेश में संशोधन करके उसके सदस्य को बोर्ड की सर्वोच्च परिषद और आईपीएल की संचालन परिषद से बाहर आने की अनुमति प्रदान करे।
सीएजी ने हालांकि यह स्पष्ट किया है कि वह वार्षिक या द्विवार्षिक तौर पर बीसीसीआई और राज्य क्रिकेट संघों के वित्तीय, नियमों पर अमल एवं प्रदर्शन संबंधी अंकेक्षण करते रहेंगे।
याचिकाकर्ता ने कहा है कि 35 राज्यों के क्रिकेट संघों में से केवल 18 ने ही सीएजी के प्रतिनिधित्व को लेकर आग्रह किया है, जिसपर सीएजी ने अमल किया है। अभी 17 राज्यों की ओर से कोई अनुरोध पत्र प्राप्त नहीं हुआ है।
सीएजी ने कहा है कि सीएजी को अंकक्षेण में विशेषज्ञता है, इसलिए इसे बीसीसीआई/राज्य क्रिकेट संघों के अंकेक्षण के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए, चाहे नियमित तौर पर हो, या वार्षिक अथवा द्विवार्षिक या न्यायालय के निर्देशानुसार।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने कहा कि चार दिसंबर, 2019 के बाद पिछले छह माह में इसके नामित सदस्यों को प्राप्त अनुभवों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि सीएजी के सदस्य को नामित करने का शीर्ष अदालत का उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है, क्योंकि अल्पमत में होने के कारण प्रबंधन का ही फैसला मान्य होता है और सीएजी प्रतिनिधि निगरानी की अपनी भूमिका को भूलकर प्रबंधन के फैसले का हिस्सा बन जाते हैं और शीर्ष अदालत का उद्देश्य निष्फल रह जाता है।
सुरेश राज
वार्ता